अजमेर। श्रावण मास का पहले सोमवार की रंगत राजस्थान में धार्मिक नगरी अजमेर सहित तीर्थराज पुष्कर में भी फीकी दिखाई दी।
सावन के इस पहले सोमवार को शिवालयों में वह गूंज सुनाई नहीं दी जो हर साल सुनाई देती है। कोरोना वैश्विक महामारी के चलते 31 जुलाई तक बंद बड़े मंदिरों में पुजारी-पंडितों ने भोलेनाथ की आराधना की और भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना करके सुख समृद्धि की कामना की।
अजमेर के प्राचीन झरनेश्वर महादेव मंदिर में भी वीरानी नजर आईं। कोटेश्वर महादेव, जागेश्वर महादेव, बटेश्वर महादेव, नागेश्वर महादेव, ओंकारेश्वर महादेव, जतोई दरबार स्थित शिव भगवान की विशालकाय कांसे की मूर्ति पर भी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का अभाव रहा और गत वर्ष की तुलना में देवालयों में 80 प्रतिशत तक भीड़ कम ही नजर आईं।
पुष्कर से राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को जाने वाली कांवड़ यात्रा भी प्रतिबंधित रही। कांवड़ यात्रा में शिव भक्तों की भीड़ एवं डीजे साउंड दूर दूर तक कहीं दिखाई नहीं दिए।
अलबत्ता पुष्कर के नजदीकी डेगाना (नागौर) सीमा से पुष्कर पहुंचे कुछ शिव भक्तों ने अपने क्षेत्र के मंदिरों में जलाभिषेक के लिए पवित्र सरोवर का जल लिया। तीर्थराज पुष्कर स्थित मंदिरों में भी व्यक्तिशः महिला पुरुषों ने छोटे छोटे मंदिरों में हाजिरी लगाकर भोलेनाथ की आराधना की। शिवलिंग पर दूध, घी, दही, शहद के पंचामृत से स्नान कराकर और बिल्वपत्र चढ़ाकर दुग्धाभिषेक किया।
कोरोना महामारी के चलते सरकारी आदेश पर बंद शिवालयों अथवा अन्य मंदिरों में प्रवेश निषेध रहा। कमोबेश सभी जगह सायं शिव भगवान का विशेष श्रृंगार करके मंदिरों में पंडितों द्वारा एकल स्वरूप में ही महाआरती का आयोजन होगा।