अयोध्या। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या में कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच प्रसिद्ध सावन झूला मेला मणि पर्वत मेले के साथ शनिवार को शुरू हो गया।
तकरीबन एक पखवाड़े तक चलने वाले इस मेले में श्रद्धालु रिमझिम बौछारों के बीच भक्ति रस का रसास्वादन करते हैं और रात में विभिन्न मंदिरों में घूम-घूमकर रजत जडि़त झूलों में विग्रहों को झुलाते हैं। इस दौरान धार्मिक नगरी अयोध्या की छटा देखते ही बनती है। सावन में गाये जाने वाले लोकगीत कजरी की ही चारों ओर गूंज सुनाई देती है।
मणिपर्वत के मेले के दौरान मठ-मंदिरों से सीताराम की झांकी को लेकर राम गुन गाते हुए श्रद्धालु मणिपर्वत पहुंचते हैं जहां वृक्षों पर झूले डालकर भगवान के विग्रहों को झुलाया जाता है। इसी के साथ अयोध्या में झूलनोत्सव प्रारम्भ हो जाता है। पूरे सावन में मंदिरों में दोनों समय भगवान राम के विग्रहों को झुलाये जाने की परम्परा है।
मणि पर्वत पर पडऩे वाले झूलों में विग्रहों के अलावा छोटे-छोटे बच्चों को रामसीता के रूप में सजाकर झुलाया जाता है। सखी सम्प्रदाय के लोग मनमोहक पोशाक पहनकर सोलह श्रृंगार करते हैं। इस प्रकार झूला 13 दिन तक चलने के बाद पूर्णिमा स्नान के साथ ही समाप्त हो जाता है।
जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने बताया कि मेला क्षेत्र को 21 सेक्टरों में विभाजित कर सेक्टर प्रभारी नियुक्त किये गये हैं। मंदिर और घाटों पर भीड़ दमकल की भी व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि मेले में आने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए कच्चा घाट-पक्का घाट, लक्ष्मण घाट तथा बंधा तिराहे पर टावर व क्लोज सर्किट टीवी टावर बनाए गए हैं। तीर्थ यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न मार्गों पर लगभग एक सौ पचास बैरियर लगाए गए हैं।