नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पूर्व सांसदों को आजीवन पेंशन देने के खिलाफ गैर-सरकारी संगठन लोक प्रहरी की याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि 82 फीसदी सांसद करोड़पति हैं, इसलिए उन्हें पेंशन की जरूरत नहीं है।
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता एवं केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। सरकार की ओर से पेश एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने, हालांकि पूर्व सांसदों को आजीवन पेंशन दिए जाने का समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि पूर्व सांसदों की गरिमा बरकरार रहनी चाहिए। पूर्व सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में यात्रा भी करनी पड़ती है। हालांकि न्यायालय ने कहा कि दुनिया में किसी भी लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता कि न्यायालय नीतिगत मुद्दों पर फैसला दे।
गौरतलब है कि पूर्व सांसदों को आजीवन पेंशन दिये जाने के मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और लोकसभा-राज्यसभा के महासचिव को नोटिस जारी किया था। लोकप्रहरी ने सांसदों के वेतन-भत्ते के लिए स्थायी आयोग स्थापित करने की मांग भी की है।