अजमेर। क्या अजमेर दक्षिण विधानसभा की अनुसूचित जाति के आरक्षित सीट सामान्य या ओबीसी में बदले जाने वाली है? क्या इस सीट के जातिगत समीकरण उलट पुलट हो चुके हैं? ऐसी ही बडी और चौंकाने वाली चर्चाओं ने आरक्षित सीट पर राज कर रहे राजनेताओं को सांसत में डाल दिया है।
यूं तो इस तरह की चर्चा लंबे समय से नक्कारखाने में तूती की आवाज सरीखी गाहे बगाहे राजीतिक हलके में सुनाई देती रही है। लेकिन सोमवार को जिला निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण पदाधिकारी एवं कलक्टर अजमेर को विधानसभा अजमेर दक्षिण परिसीमन संघर्ष समिति के बैनर तले सौंपे गए एक ज्ञापन में उल्लेखित मांग से सुर्खियों में आ गई। इस ज्ञापन में अजमेर दक्षिण विधानसभा की सीट का पुनर्निर्धारण कर अनारक्षित किए जाने का मामला तर्क और आंकडों के साथ बयां किया गया है।
ज्ञापन में बताया गया है कि वर्तमान की अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट लगभग 60 साल से निरंतर अनुसूचित उम्मीदवार के लिए आरक्षित है जिसका कभी भी किसी भी पारिस्थिति में पुनर्निर्धारण नहीं किया गया है।
सामान्यतया जब किसी क्षेत्र में 40 प्रतिशत वोटर्स किसी एक ही जाति से आते हों तब उस सीट को उस वर्ग के लिए आरक्षित किया जाता है, जबकि आज दिनांक को उनका प्रतिशत 30 प्रतिशत से भी कम हो गया है।
अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट दीर्घकालिक समय से अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है परन्तु आज तक कभी भी प्रशासन एवं सरकार द्वारा इसे ओबीसी अथवा सामान्य उम्मीदवार के लिए परिवर्तित किए जाने का सार्थक प्रयास ही नहीं किया गया।
अजमेर दक्षिण विधानसभा पहले अजमेर पूर्व के नाम से घोषित थी परन्तु गत 20 वर्ष से अधिक समय से उक्त विधानसभा सीट को अजमेर दक्षिण के नाम से पुनर निर्धारित की गई। अजमेर पूर्व विधानसभा के स्थान पर इसे अजमेर दक्षिण में परिवर्तित तो कर दिया गया, लेकिन इसके पश्चात भी अजमेर पूर्व की जैसे ही बिना किसी सर्वे एवं औचित्य के इसे पुनः अनुसूचित जाति के उम्मीदवार हेतु आरक्षित रख दिया गया।
अजमेर दक्षिण विधानसभा में वर्तमान में अजमेर दक्षिण के आरक्षित वर्ग के असंख्य वोटर्स अजमेर उत्तर में स्थानान्तरित हो गए साथ ही अजमेर पूर्व के असंख्य सामान्य वोटर्स इस विधानसभा में स्थानांतरित होकर प्राप्त हुए। इसी प्रकार यहां सामान्य वोटर्स की संख्या में भी निरंतर इजाफा होता जा रहा है जिसकी और किसी ने भी कोई ध्यान केन्द्रित नहीं किया।
अजमेर दक्षिण विधानसभा के अंतर्गत सर्वाधिक वोटर्स माली समाज से आते हैं जिसका प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत भी सर्वविदित है, जिस क्षेत्र को थोक मालियान के नाम से जाना जाता है वह किस प्रकार अनुसुचित जाति बाहुल्य का हो सकता है यह सोचनीय भी है एवं प्रश्नात्मक भी है?
ज्ञापन सौंपने वालों में अजमेर दक्षिण के सभी सामान्य वोटर्स अथवा भविष्य के संभावित उम्मीदवारों ने मांग उठाई हैं कि अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट के वोटर्स का ईमानदारीपूर्वक वास्तविक रिकार्ड चुनाव आयोग को भेजते हुए उक्त विधानसभा सीट को भविष्य में ओबीसी अथवा सामान्य उम्मीदवार हेतु आवंटित करवाने का श्रम कराएं।
वर्तमान अजमेर विधानसभा सीट को समय के अभाव में, समुचित सर्वे कराए बिना, प्रशासनिक लापरवाही के मद्देनजर एवं जन प्रतिनिधियों के दबाव में उक्त सीट को निरंतर अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित रखी जा रही है जिसका हम सभी पुरजोर तरीके से विरोध दर्ज करवाकर अपना हक़ वापस मांगते हैं।
यदि किसी भी प्रकार का सर्वे भी इसके लिए अपेक्षित हो तो 15 दिवस में करवाया जाए ताकि सभी वोटर्स अथवा संभावित उम्मीदवार को आगामी निर्णय लिए जाने के लिए समुचित समय प्राप्त हो सके। अन्यथा क्षेत्र के सभी वोटर्स अग्रिम कार्यवाही अथवा आन्दोलन करने को विवश होंगे।
दीगर बात यह है कि माली सैनी समाज ने इस मसले को विभिन्न राजनीतिक दलों से जुडें अपने नेताओं के जरिए उठाया है। समाज के नेताओं का दावा है कि अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में माली जाति के लोग बहुतायत में निवास करते हैं, जो किसी भी राजनीतिक दल के उम्मीदवार की जीत हार को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। ज्ञापन की प्रति भारत निर्वाचन आयोग, भारतीय जनता पार्टी, नेशनल इंडियन कांग्रेस, राज्य निर्वाचान आयोग, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी अजमेर (दक्षिण) को भी प्रेषित की गई हैं।
ज्ञापन सौंपने वालों में महेश चौहान, घीसू गढवाल, मामराज सेन, दिनेश चौहान, गणतांत्रिक समाज संगठन से एडवोकेट बबीता टांक, भूपेन्द्र चौहान, बीरेन्द्र चौहान, गोविंद जादम, पृथ्वी सांखला, मदन रावत, बालमुकंद टांक, हेमराज खारोलिया, दीपक यादव, अमित श्रीवास्तव, रवि गौतम, हेमराज सिसोदिया, वीर सिंह चौहान आदि शामिल थे।