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अयोध्या में मस्जिद के लिए जमीन की तलाश जारी, बाबर के नाम पर एतराज - Sabguru News
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अयोध्या में मस्जिद के लिए जमीन की तलाश जारी, बाबर के नाम पर एतराज

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अयोध्या में मस्जिद के लिए जमीन की तलाश जारी, बाबर के नाम पर एतराज

अयोध्या। अयोध्या मसले को लेकर सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद चौदह कोसी परिक्रमा की परिधि के बाहर मस्जिद निर्माण के लिए जमीन तलाशने का काम जोर शोर से जारी है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मस्जिद के लिए अयोध्या की चौदह कोसी परिक्रमा के बाहर जमीन तलाशी जा रही है। सदर तहसील के पूरा विकास अन्तर्गत शहनवा ग्राम सभा के अलावा सोहावल, बीकापुर, सदर तहसील क्षेत्र में भूमि की तलाश राजस्व विभाग ने शुरू कर दी है।

शहनवा ग्राम सभा में बाबर के सिपहसालार मीर बांकी के कब्र होने का दावा किया जाता रहा है। इस गांव के निवासी शिया बिरादरी के रज्जब अली और उनके बेटे मोहम्मद असगर को बाबरी मस्जिद का मुतवल्ली कहा गया है। इसी परिवार को ब्रिटिश हुकूमत की ओर से तीन सौ दो रुपए छह पाई की धनराशि मस्जिद के रखरखाव के लिए दी जाती थी।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के दावे में इसका जिक्र भी किया गया है। यह अलग बात है कि बाबरी मस्जिद पर अधिकार को लेकर शिया वक्फ बोर्ड एवं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच विवाद के बाद वर्ष 1946 में कोर्ट ने सुन्नी बोर्ड के पक्ष में सुनाया था।

मिली जानकारी के अनुसार इसकी किसी दूसरे मुतवल्ली का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। फिलहाल पूर्व मुतवल्ली के वारिसान आज भी इसी गांव में रह रहे हैं। इन वारिसान की ओर से भी मस्जिद निर्माण के लिए अपनी जमीन दिए जाने की घोषणा की जा चुकी है।

यही नहीं 1990-91 में तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में हिन्दू-मुस्लिम पक्ष की बातचीत के दौरान मस्जिद के लिए विश्व हिन्दू परिषद की ओर से ही शहनवा गांव में जमीन दिए जाने का प्रस्ताव किया गया था।

हालांकि यह तथ्य दीगर है कि मुस्लिम पक्ष ने विवादित परिसर से अपना दावा वापस लेने से इन्कार किए जाने के बाद विश्व हिन्दू परिषद एवं संत-धर्माचार्यों ने भी बाबर के नाम पर देश में कहीं भी मस्जिद नहीं स्वीकार करने का ऐलान कर दिया था। विश्व हिन्दू परिषद का यही स्टैंड अभी भी कायम है।

रामलला के सखा त्रिलोकीनाथ पाण्डेय कहते हैं कि हम किसी उपासना पद्धति के विरोधी नहीं हैं लेकिन बाबर के नाम की मस्जिद अयोध्या में कहीं या देश के किसी हिस्से में स्वीकार नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी को मान्य है और कोर्ट के आदेशानुसार मस्जिद का निर्माण कराया जाता है तो कोई ऐतराज नहीं होगा।