नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने निवेशकों के रुपए न लौटाने के मामले में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को शुक्रवार को आंशिक राहत प्रदान करते हुए उन्हें अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने सुब्रत रॉय को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने पर छूट दे दी। न्यायालय ने हालांकि उनके साथ पुलिस काफिले को हटाने से फिलहाल इन्कार कर दिया। इस दौरान सहारा प्रमुख भी अदालत में मौजूद रहे।
गौरतलब है कि सहारा प्रमुख की ओर से अनुरोध किया गया था कि अदालत दिल्ली पुलिस बंदोबस्त को हटाने के निर्देश जारी करे लेकिन सेबी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह व्यवस्था सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि अदालत में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए की गई है। सेबी के विरोध के बाद न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि वह कोई आदेश जारी नहीं कर रहे हैं।
सेबी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने न्यायालय को बताया कि सहारा ने 15000 करोड़ रुपए के मूलधन के अलावा 4800 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर जमा कराए हैं। सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि अभी तक 22000 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं।
गौरतलब है कि लगभग दो साल जेल में बिताने वाले सुब्रत रॉय छह मई 2017 से पैरोल पर हैं। उन्हें पहली बार अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अनुमति दी गई थी और इसके बाद इसे बढ़ाया गया था।