लखनऊ। सहारा समूह ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) पर 25 हजार करोड़ रूपए की रकम अकारण और अनुचित तरीके से रोके जाने का आरोप लगाते हुए इसे वापस करने की मांग की है।
सहारा ने एक बयान जारी कर कहा कि चार अगस्त को जारी सेबी की वार्षिक रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि सहारा के निवेशकों को 129 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है जबकि 31 मार्च तक सहारा द्वारा जमा की गई रकम मय ब्याज के 23,191 करोड़ रूपए थी। एक अनुमान के मुताबिक सहारा-सेबी खाते में 25 हजार करोड़ रूपए जमा है जिस पर सेबी ने बगैर किसी वजह से रोक लगा रखी है।
सेबी ने पिछले नौ सालों के दौरान देश भर के 154 समाचार पत्रों में चार चरणों में विज्ञापन जारी किए और निवेशकों को 129 करोड़ रूपए लौटाए। आखिरी विज्ञापन अप्रैल 2018 में प्रकाशित हुआ था जिससे साफ है कि जुलाई 2018 के बाद काेई दावा सामने नहीं आया। इसका मतलब है कि 25 हजार करोड़ रूपए सहारा के जमा है जिसे अविलंब वापस किया जाना चाहिए।
बयान में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार समूह ने नौ साल पहले अपने तीन करोड़ निवेशकों के मूल दस्तावेज सत्यापन के लिए सेबी को सौंप दिए थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सहारा द्वारा जमा 25 हजार करोड़ रूपए की रकम पर सेबी अकारण रोक लगाए हुए है। इतनी बड़ी रकम बगैर इस्तेमाल के बैंक में पडी हुई है जो व्यवसाय की दृष्टि से न सिर्फ समूह के हितों के खिलाफ है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार सहारा समूह ने अगस्त 2012 में निवेशकों की रकम को लौटाने के लिए सेबी के खाते में 23 हजार करोड़ रुपए जमा किए थे जिसमें अब तक सिर्फ 129 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। सेबी ने यह जानकारी अपनी एक रिपोर्ट में गुरुवार को दी है।