सबगुरु न्यूज-सिरोही। राज्य के छह जिलों में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव सिर्फ साधारण चुनाव नहीं है। ये चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए तलवार निकाले बैठे सचिन पायलट, भाजपा के मुख्यमंत्री पद के भावी दावेदार गजेन्द्रसिंह और सतीश पूनिया के अलावा वर्तमान अशोक गहलोत सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद के प्रमुख दावेदारों की साख का चुनाव है।
जो जिला परिषदों में पंचायत समितियों में अपने राजनीतिक दल या अपने गुट के जितने ज्यादा जिला प्रमुख और प्रधान बनवा लाए उसकी ग्रेडिंग में उतना ही इजाफा। पिछले जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में राजस्थान में सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस अपने जिला प्रमुख और प्रधान उतनी संख्या में नहीं बनवा पाई थी जितनी संख्या में भाजपा ने बनवा दिया था।
-इन जिलो में हैं चुनाव
परिसीमन विवाद से राजस्थान में न्यायिक प्रक्रिया में फंसने के कारण राजस्थान के छह जिलों के जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव रुक गए थे। इनमें सवाई माधोपुर, दौसा, भरतपुर, जयपुर, जोधपुर और सिरोही शामिल हैं। इनमें से सवाई माधोपुर, दौसा और भरतपुर गुर्जर और मीणा बहुल इलाके हैं।
ऐसे में यहां कांग्रेस की जीत ये तय करेगी कि सचिन पायलट, विश्वेन्द्रसिंह रमेश मीणा समेत पायलट गुट के अन्य नेताओं के राजस्थान का सरताज बनने की क्षमता का निर्धारण करेगी। वहीं जयपुर ग्रामीण भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया द्वारा विधायक के रुप में कमाई गई साख का निर्धारण करेगी। जोधपुर में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा में मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाने वाले केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह के नम्बर तय करेगी।
वैसे जोधपुर में कांग्रेस या भाजपा की हार इन दोनों के पदों पर तो खतरा नहीं ला सके, लेकिन लोकाचार में दोनों ही व्यंग्य और तानों का माध्यम बन जाएंगे। वहीं सिरोही जिले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के संकटमोचक और खुदको कांग्रेस का हनुमान बताने वाले सिरोही के निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा का इस विधानसभा के शेष समय में उनका भविष्य तय करेगा।
-पिछली हार में हुई थी गहलोत की छीछालेदर
राजस्थान में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के प्रथम चरण में हुए चुनावों में हुए कांग्रेस के प्रदर्शन पर मुख्मंत्री अशोक गहलोत की राष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त छीछालेदर हुई थी। ये बात अलग है कि गहलोत सरकार के गाल बजाउ प्रवक्ता अखाड़े में कंधे जमीन पर सटने के कारण मात खाए पहलवान की तरह सिर्फ टांग जमीन पर नहीं सट पाने को अपने बेहतर प्रदर्शन का मापदंड बताते रहे थे।