मुंबई। वसूली के आरोप में गिरफ्तार एवं मुंबई पुलिस के निलंबित सहायक निरीक्षक सचिन वाजे ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष कोर्ट ने महा विकास अघाड़ी के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
वाजा ने कोर्ट में दायर किए हस्तलिखित बयान में कहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख उसके (वाजे) पुलिस फोर्स में पुनः बहाली के खिलाफ थे। उल्लेखनीय है कि वाजे मार्च 2004 में पुलिस फोर्स से निलंबित हुआ था और सोलह साल बाद छह जून 2020 को उसकी पुनः बहाली हुयी थी।
उसने आरोप लगा है कि तत्काली गृहमंत्री अनिल देशमुख ने नागपुर से फोन करके पुलिस विभाग में वाजे की वापसी के लिए शरद पवार की इजाजत दिलाने के लिए दो करोड़ रुपये की मांग की थी। तीन अप्रैल 2021 को एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश को संबोधित करने हुए हस्तलिखित बयान में वाजे ने कहा कि जब उसने (वाजे) इस राशि को देने में असमर्थता जतायी, तो देशमुख ने कथित तौर पर कहा कि इसका भुगतान बाद में कर देना। कोर्ट ने बुधवार को वाजे की एनआई हिसात दो दिन बढ़ा दी।
वाजे ने आरोप लगाया कि जून 2020 में उसकी (वाजे) पुलिस बल में वापसी हुई तथा अक्टूबर में देशमुख ने उससे (वाजे) मुंबई के 1650 बारों तथा रेस्तरों से घन संग्रह करने को कहा। उसने कहा है कि उसने एक बार फिर देशमुख की मांग को पूरा करने में असमर्थता जतायी और कहा, मैं इस स्थिति में नहीं हूं कि किसी भी बार से कोई भी राशि ले सकूं, क्योंकि यह मेरी क्षमताओं के दायरे से बाहर है।
उसने अपने बयान में कहा है कि जब वह अपराध खुफिया इकाई का प्रमुख था, तो मंत्री के निजी सहायक कदम द्वारा सलाह दी गई थी कि यदि वह (वाजे) अपनी नौकरी और पद पर बने रहना चाहता है, तो निर्देशों का पालन करें, लेकिन उसने उनकी बातों को टाल दिया। उसने कहा है कि उसने (वाजे) इस बारे में तत्कालीन पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह को सूचित किया और यह भी आशंका व्यक्त की कि भविष्य में उसे (वाजे) को किसी झूठे विवाद में उलझ जाएगा, लेकिन सिंह ने न केवल उसे प्रोत्साहित किया, बल्कि स्पष्ट रूप से उसे (वाजे) निर्देश दिया कि वह किसी के लिए भी इस तरह के अवैध संग्रह न करें। उसने कहा है कि देश में इस वर्ष जनवरी में उसे (वाजे) बुलाया और फिर से मुंबई के 1,650 बारों तथा रेस्तराओं से प्रत्येक से तीन से साढ़े तीन करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा, लेकिन उसने (वाजे) माना कर दिया।
वाजे ने दावा किया है कि जुलाई-अगस्त 2020 में राज्य परिवहन मंत्री अनिल परब (शिवसेना) ने उसे (वाजे) अपने आधिकारिक बंगले में बुलाया था और सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट से संबंधित एक शिकायत पर गौर करने के निर्देश दिए और बातचीत के लिए ट्रस्टी को अपने पास लाने को कहा।
उन्होंने कहा, उन्होंने उस जांच को बंद करने के लिए एसबीयूटी से 50 करोड़ रुपये की मांग करने को लेकर बातचीत शुरू करने पर जोर दिया। उस समय मैंने ऐसी कोई भी चीज करने में असमर्थता व्यक्त की थी, क्योंकि मैं एसबीयूटी से संबंधित किसी को नहीं जानता था और साथ ही मेरे दायरे में नहीं था।