नई दिल्ली/जम्मू। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 14 फरवरी को पुलवामा में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद बड़ा कदम उठाते हुए यासीन मलिक, सैयद अली शाह गिलानी, सलीम गिलानी, मौलबी अब्बास अंसारी समेत 18 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा बुधवार को वापस ले ली। इसके साथ ही 155 नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी सुरक्षा हटा दी गई है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार ऐसा महसूस किया गया कि अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराया जाना राज्य के संसाधनों की बर्बादी है, इन्हें अच्छे कार्यों पर खर्च किया जा सकता है।
प्रवक्ता के अनुसार ऐसा करने से पुलिस को एक हजार से अधिक सुरक्षा बल और कम से कम 100 वाहन मिल गये हैं जिन्हें सुरक्षा के नियमित कार्यों में लगाया जाएगा। सरकार ने इससे पहले रविवार को मीरवाइज उमर फारूक और शब्बीर शाह समेत पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई थी।
प्रवक्ता ने बताया कि जिन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटाई गई है उनमें आगा सैयद मौसवी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, मुख्तर अहमद वाजा, फरूक अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, आगा सयैद अब्दुल हुसैन, मोहम्मद भट आदि भी शामिल हैं।
प्रवक्ता के अनुसार राज्य के 155 नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की समीक्षा करने के बाद उनकी सुरक्षा हटा ली गई है जिनमें पूर्व प्रशासनिक अधिकारी शाह फैसल और वाहिद पारा भी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए मोहम्मद के फिदायीन हमलावार ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के काफिल पर करीब साढे तीन सौ किलोग्राम विस्फोटकों से लदे वाहन से विस्फोट कर दिया जिसमें 40 जवान शहीद हो गए और कई अन्य घायल हो गए।
14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले के बाद केन्द्र सरकार ने कड़ा रूख अपनाते हुए रविवार को पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी। रविवार को मीरवाइज उमर फारूक, शब्बीर अहमद शाह, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और अब्दुल गनी बट की सुरक्षा हटाई गई। फारूक और शाह फिलहाल जेल में बंद हैं।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह पुलवामा हमले के बाद स्थिति की समीक्षा करने के लिए शुक्रवार को राज्य के एक दिवसीय दाैरे पर गए थे और उन्हाेंने इस आशय के संकेत दिए थे।