नई दिल्ली। संगठित क्षेत्र में रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार ने 22 हजार 810 करोड़ रुपए की आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को मंजूरी दी है जिससे 15000 रुपए मासिक से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को लाभ होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
बैठक के बाद श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज तीन के अंतर्गत शुरू की गयी आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की अवधि दो वर्ष के लिए होगी। इस योजना में एक अक्टूबर 2020 से लेकर 30 जून 2021 तक रोजगार पाने वाले कर्मचारी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान संगठित क्षेत्र में रोजगार पाने वाले कर्मचारी और देने वाले नियोक्ता इसका लाभ ले सकेंगे। योजना में कुल 22 हजार 810 करोड़ रुपए व्यय किये जाएगें। चालू वित्त वर्ष में 1584 करोड़ रुपए खर्च किये जाएगें। उन्होंने बताया कि इस योजना से तकरीबन 58.5 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
गंगवार ने कहा कि इस योजना में 1000 कर्मचारी तक के नियोक्ता संस्थानों में सरकार कर्मचारी भविष्य निधि में 24 प्रतिशत का अंश दान देगी। एक हजार से अधिक कर्मचारी वाले संस्थानों में सरकार केवल कर्मचारी के अंशदान 12 प्रतिशत का भुगतान करेगी। इस योजना का लाभ उन कर्मचारियों को भी मिलेगा जिनकी नौकरी कोविड महामारी के कारण छूट गयी थी और उनका भविष्य निधि का अंश दान जमा नहीं हो पाया।
एक सवाल के जवाब में गंगवार ने दावा किया कि देश में संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या 10 करोड़ पार कर गयी है जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या छह करोड़ थी।
सदस्यों के आधार संख्या से जुड़े खाते में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन – ईपीएफओ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से इस योगदान का भुगतान करेगा। इस योजना के लिए ईपीएफओ एक सॉफ्टवेयर को विकसित करेगा और एक पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। ईपीएफओ यह सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्त तरीका अपनाएगा कि आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना और ईपीएफओ की गई किसी अन्य योजना के लाभ आपस में नहीं मिल पायें।