जयपुर। संविधान स्थापना दिवस के अवसर पर मंगलवार शाम पाथेय भवन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि सिक्किम के पूर्व राज्यपाल व पूर्व न्यायाधीश सुरेंद्र नाथ भार्गव ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 संविधान की जान है, इसी से मानवाधिकार की उत्पत्ति हुई है।
उन्होंने संविधान में चित्रित भारतीय संस्कृति के चित्रों की चर्चा करते हुए कहा कि यह भारत की संस्कृति के अंग है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि संविधान की छपी प्रतियों में इन चित्रों को हटा दिया गया है।
उन्होंने इसके लिए भारत सरकार से फिर से इन क्षेत्रों को संविधान में शामिल करने की मांग करने का आह्वान किया। उन्होंने भारतीय संविधान में कर्तव्य को शामिल करने के लिए संसद का आभार जताया।
राजकीय विधि महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राचार्य रामस्वरूप अग्रवाल ने संविधान निर्माण प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि संविधान को हिंदी और अंग्रेजी में हस्तलिखित तैयार किया गया था। उन्होंने बताया कि संविधान के प्रत्येक भाग के पहले भारतीय संस्कृति को बताने वाले चित्र अंकित किए गए हैं, लेकिन उनके बारे में कोई चर्चा नहीं होती।
अग्रवाल ने अभिव्यक्ति की आजादी की चर्चा करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के साथ-साथ उस पर नियंत्रण के लिए संविधान में व्यवस्था की गई है। संगोष्ठी में शामिल लोगों ने पूर्व राज्यपाल भार्गव से संविधान के संबंध में कई सवाल किए। जिनका उन्होंने जिज्ञासा समाधान के रूप में जवाब दिया।