नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी ने आज राज्यसभा में केंद्रीय विद्यालयों में सांसदों के कोटे से विद्यार्थियों के होने वाले नामांकन की व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की।
मोदी ने शून्य काल के दौरान इस मामले को उठाते हुए कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में हर एक सांसद के कोटे से 10 और विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के कोटे से 17 विद्यार्थियों के नामांकन का प्रावधान है जिसे समाप्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के कारण हरेक साल 29 हजार विद्यार्थियों का विभिन्न कक्षाओं में नामांकन होते हैं, जो अलोकतांत्रिक है और इसमें आरक्षण के नियमों का भी पालन नहीं होता है। इससे अनूसुचित जाति, अनूसुचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को नुकसान होता है।
उन्होंने कहा कि सांसदों के केंद्रीय विद्यालय में कोटा होने के कारण बड़ी संख्या में लोग प्रतिदिन उनसे मिलने आते हैं। जिसके कारण अलग समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसी के कारण वह इस कोटे को बढ़ाने की नहीं बल्कि समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में 40 छात्रों पर एक शिक्षक के अनुपात का प्रावधान है, लेकिन एक कक्षा में 60-60 छात्रों का नामांकन कर लिया जाता है। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम एक कंप्यूटर प्रशिक्षित क्लर्क की नियुक्ति करने की मांग की और कहा कि इससे शिक्षक पठन-पाठन का काम ठीक ढंग से कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा की स्थिति खासकर उत्तर प्रदेश में बहुत खराब है। ऐसे विद्यालयों में मुश्किल से एक या दो शिक्षक होते हैं जिनमें से एक मिड-डे-मील का हिसाब किताब करने में ही लगे रहते हैं। एक शिक्षक को मिड-डे-मील का हिसाब देने के लिए बार-बार ब्लॉक ऑफिस जाना होता है। इसके साथ ही उन्हें कई प्रकार की बैठकों में शामिल होना होता है। जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई का कार्य बुरी तरह से प्रभावित होता है।
उन्होंने कहा कि गरीब लोग ही प्राथमिक विद्यालयों में अपने बच्चे का नामांकन कराते हैं। लेकिन उन्हें उचित शिक्षा नहीं मिल पाती है। यदि इन विद्यालयों में एक कंप्यूटर प्रशिक्षित क्लर्क की नियुक्ति की जाती है तो इससे पठन-पाठन बेहतर ढंग से हो सकेगा।