श्रीगंगानगर। राजस्थान में सूरतगढ़ तापीय विद्युत परियोजना की शनिवार को शुरू हुई नवनिर्मित 660 मेगावाट की सातवीं सुपर क्रिटिकल इकाई को ईंधन की कमी के चलते एक बार फिर से बन्द करना पड़ी है।
सूत्रोें ने गुरुवार को बताया कि करीब ढाई वर्ष की देरी के बाद सातवी सुपर क्रिटिकल इकाई को धीरे धीरे पूरी क्षमता 660 मेगावाट तक बिजली उत्पादन करने के लक्ष्य को लेकर शुरू किया गया था।
इस प्रक्रिया के तहत इकाई से अधिकतम 300 मेगावाट बिजली उत्पादन भी लिया जा चुका था, लेकिन कल रात बिजली उत्पादन के दौरान ईंधन का स्तर निर्धारित मापदंड से कम होने की वजह से इकाई को बन्द करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि इकाई में बिजली उत्पादन के दौरान कोयले के साथ साथ फ्यूल ऑयल (एलडीओ) भी जलता है। सुपर क्रिटिकल इकाइयों के मुख्य अभियंता बीपी नागर के अनुसार 660 मेगावाट की सातवी सुपर क्रिटिकल इकाई से अभी परीक्षण के तौर पर बिजली उत्पादन किया जा रहा है। इस दौरान कई तरह की सुरक्षा जांच भी साथ साथ चलती है।
फिलहाल इकाई से 660 मेगावाट बिजली उत्पादन करना लक्ष्य है। इसके लिए भेल के साथ मिलकर प्रयासरत है। चूंकि ट्रायल रन के दौरान कोयले के साथ साथ फ्यूल ऑयल भी जलता है, एवं कई बार अपेक्षा से अधिक ऑयल की खपत हो जाती है, इसलिए कुछ समय के लिए ईंधन की कमी हो सकती है।