मनी चतुर्वेदी शर्मा
हंसते खिलखिलाते चेहरे, अनुभव से परिपूर्ण चमकती आंखें यहां रहने वालों की पहचान है। जिंदादिली से भरे इन लोगों को देखकर यह अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता कि, इनके अपने वर्षों से इनके साथ नहीं हैं। बात हो रही है, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के बीचों बीच स्थित आनंदधाम वरिष्ठ जन सेवा केंद्र की।
सेवाभारती मध्यभारत द्वारा संचालित इस केंद्र में बुजुर्ग लोग आनन्द के साथ एक परिवार की तरह रह रहे हैं। सेवाभारती के तत्कालीन पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की दूरदृष्टि एवं सामाजिक समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रकल्प की शुरूआत की गई।
तुलसी रामायण जिनकी वाणी से निर्झर बहती है ऐसे श्री राजेंद्र प्रसाद जी गुप्ता परिवारिक कारणों के चलते पन्द्रह वर्षों से यहां रह रहे हैं। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से डिप्टी डायरेक्टर के पद से सेवानिवृत्त गुप्ताजी कार्यक्रमों में अपनी स्वरचित कविताओं से सबका मन जीत लेते हैं। परिसर में निर्धन बच्चों के लिए तीन पारियों में चल रही कोचिंग से डेढ़ सौ से अधिक बच्चे लाभ उठा रहे हैं।
समिति के सचिव रविंद्र सुरंगे बताते हैं कि इस केंद्र की स्थापना 18 दिसम्बर 2005 में की गई। यहां पन्द्रह महिलाएं एवं तेरह पुरुष रहते हैं। इसके अतिरिक्त संस्था द्वारा परिसर में योग केंद्र, फिजियोथैरेपी, न्यूरो थेरेपी सेंटर व प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग सेंटर के साथ-साथ एक निःशुल्क विधिक परामर्श केंद्र भी चलता है। यहां प्रतिदिन आने वाले होम्योपैथिक डॉक्टर वरिष्ठ जनों के साथ-साथ समाज के अन्य लोगों का भी इलाज करते हैं, यहां की ओपीड़ी में प्रतिमाह 500 से अधिक लोग आकर अपना उपचार करवाते हैं।
सुबह योग से लेकर शाम को पूजा तक एक व्यवस्थित दिनचर्या के साथ इन बुजुर्गों के लिए प्रतिदिन 4 से 6 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन होते रहते हैं, जिसमें समाज के सेवाभावी लोग भी इनके साथ समय व्यतीत करते हैं। कुछ लोग तो अपने बच्चों के जन्मदिन व कुछ युगल अपनी वर्षगांठ इन बुजुर्गों के साथ मनाते हैं।
परिसर में महिला एवं पुरूषों के लिए अलग-अलग भवन के साथ चिकित्सा कक्ष, चिंतन कक्ष, सांस्कृतिक कक्ष, मंदिर, उद्यान एवं जलपान कक्ष के साथ-साथ एक पुस्तकालय भी है। आकस्मिक परिस्थितियों के लिए 24 घंटे एक एम्बुलेंस उपलब्ध रहती है।
रिटायर्ड टीचर गायत्रीजी हों या क्लास वन ऑफिसर स्वर्गीय मेहरोत्रा की पत्नी प्रेमा मेहरोत्रा हों या प्रभा शाह (बंगाली अम्मा) सबकी अपनी-अपनी कहानियां हैं। गायत्री जी ने जीवनभर सामाजिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया पर विवाह नहीं किया, इटारसी में अपने घर को दान देकर अकेलेपन से उबरने वो यहां आ गईं।
रोज की आरती के बाद सबको तिलक लगाकर प्रसाद बांटने वाले नंदकिशोर शर्मा जी की खुशी उनके चेहरे पर सदा दिखती है। अपनी सूटकेस की दुकान बंद कर बेटी दामाद के साथ रहने के बजाय आनंदधाम को ही उन्होंने अपना परिवार बना लिया।
ये लोग यहां से इतना जुड़ गए हैं कि दंपतियों के रहने लिए जब परिसर में नया भवन बनना शुरू हुआ तो प्रेमाजी ने अपनी पेंशन से एक लाख रुपए दिए। वे कहती हैं यहां हम में से किसी को कुछ भी देना नहीं पड़ता फिर भी सर्व सुविधा संपन्न व्यवस्था तथा स्नेह-अपनेपन के साथ 24 घंटे के देखभाल कर्ता तो परिवार में भी नहीं मिलते।
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इस केंद्र में प्रारंभ से जुड़े हुए व पूर्व क्षेत्र सेवा प्रमुख गोरेलाल बताते हैं कि यहां हम 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों को ही रखते हैं। फार्म भरवाने के समय हम परिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी लेते हैं। पहले तो यही कोशिश रहती है कि समझाने से हल निकल जाए और लोग वापस अपने घर चले जाएं। केंद्र में रहने वालों से एक नियत समय उनके परिवार वाले मिल सकते हैं।
सेवाभारती के पूर्णकालिक कैलाश कुशवाह बताते हैं कि यहां प्रबंधन समिति के प्रयासों के फलस्वरूप बहुत से लोग अपनों को घर वापस भी ले गए हैं। बेहद बोझिल मन से कैलाश जी स्वर्गीय मुक्ता सहगल अम्मा को याद कर कहते हैं, उनका कोई नहीं था व जब अपने घर में गिरने के कारण चलने फिरने में वे असमर्थ हो गईं थी, तब सेवाभारती ने उनका इलाज व सेवा मृत्युपर्यन्त की।
मुक्ता जी ने जाने से पहले अरेरा कॉलोनी स्थित अपना भवन गरीब लड़कियों के छात्रावास के लिए सेवा भारती को दान कर दिया। मुक्ता जी की तरह यहां प्रत्येक बुजुर्ग का अंतिम विधि विधान ठीक उसी तरह से होता है जैसा परिवार वाले करते हैं। यहां सभी अनुभूत करते है कि आनंद धाम ही उनका अपना घर है। सेवाभारती के क्षेत्र संगठन मंत्री रामेंद्रजी बताते हैं 15 वर्षों से यह प्रकल्प बगैर किसी सरकारी सहायता के, समाज के सहयोग से चल रहा है।
संपर्क – रामेन्द्र जी
9425116748