Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
तेरा वैभव अमर रहे मां - Sabguru News
होम Headlines तेरा वैभव अमर रहे मां

तेरा वैभव अमर रहे मां

0
तेरा वैभव अमर रहे मां

विजयलक्ष्मी सिंह
रामरति की आंखों से अश्रु कृतज्ञता बनकर बरस रहे थे। पिछले 3 दिनों से खाली चावल उबालकर बच्चों व पति को खिलाने के बाद अक्सर वह खुद भूखे ही सो जाती थी। मजबूरी में पास लगे पेड़ से सहजन तोड़कर बेचने से होने वाली आमदनी से भला तीन बच्चों और सास ससुर का पेट कैसे भरता।

लॉकडाउन ने पति के रोजगार के साथ ही घर का दाना पानी भी छीन लिया था। भोपाल में गोविन्दपुरा सेक्टर-सी के नजदीक एक कच्चे मकान में रहने वाले इस परिवार के पास जब सेवा भारती के कार्यकर्ता ईश्वर के दूत की तरह राशन सामग्री लेकर पहुंचे तो रामवती खुशी के मारे रो पड़ी। लाकडाऊन के ढाई माह इस परिवार को अन्न की कमी ना हो इसे सुनिश्चित किया संगठन के पूर्णकालिक कार्यकर्ता करण सिंह जी ने।

वहीं कोलकाता के बाग बाजार की एक बहुमंजिला इमारत के नीचे एक फटी गुदड़ी पर थोड़े से बर्तनों को रखकर रुखा-सूखा खाकर गुजर-बसर करने वाली एक बूढ़ी मां के लिए लॉकडाउन बरसों बाद घर का गरम गरम भोजन लेकर आया। कढ़ी चावल बांटने वाली स्वयंसेवको की टोली बस्ती-बस्ती भोजन वितरण के बाद फुटपाथ व रेलवे की पटरियों के पास भीख मांगकर जीवन बसर करने वाले लोगों को खोजने निकली तब एक कोने में ये माताजी उन्हें मिलीं।

सेवागाथा – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सेवाविभाग की वेबसाइट

कुछ दिन शाम में कढी चावल खाने के बाद मनोरमा अम्मा ने दिन में भोजन देने की मांग की तो नजदीक में रहने वाले स्वयंसेवक सुमित साहू अपने घर से उन्हें नियमित गरम-गरम भोजन पहुंचाने लगे। एक दिन स्वयंसेवकों पर आशीर्वाद बरसाते हुए इस बुजुर्ग महिला ने अपनी व्यथा सुनाई कि किस तरह 10 साल में पहली बार उन्हें ठीक से खाना नसीब हुआ है। अब तक वो रोज मुरी या चूड़े को पानी में मिलाकर खाकर अपना जीवन बिता रहीं थीं।

अब बात करते हैं कोरोनावायरस का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बन चुके इंदौर की। यहां रेलवे स्टेशन के समीप इलाइट टावर में रहने वाली मंजू अग्रवाल की मां की आकस्मिक मृत्यु के बाद जब न कोई अपना पहुंचा न ही पड़ोसी मदद को आगे आए तब संघ के स्वयंसेवकों ने ही उनका अंतिम संस्कार किया। कोरोना काल में ब्रह्मांड मैं तैर रही इन सेवा कथाओं के सूत्रधार रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक।

जिन्होंने इस वैश्विक महामारी को सेवा का अवसर माना व केसरी बाना सजाए मन में राष्ट्र भाव लिए मुंबई, दिल्ली व इंदौर के हॉटस्पॉट इलाकों समेत देशभर में अनवरत सेवा करते रहे। अपना देश बाराबांकी के जिला कार्यवाह अजय कुमार जी के बलिदान को नहीं भुला पाएगा। 22 मई शुक्रवार को लखनऊ अयोध्या हाईवे पर राशन बांटते हुए वे एक ट्रक हादसे का शिकार हो गए। पेशे से बेसिक अध्यापक अजय जी गत 55 दिनों से सुबह दस से रात्रि नौ बजे तक जरूरतमंद लोगों तक तैयार भोजन व सूखे राशन के पैकेट बांट रहे थे। एक जरूतमंद के लिए कार की डिक्की से राशन का पैकेट निकालते समय वो सडक हादसे का शिकार हो गए।

आंकड़ों में बात करें तो संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख पराग जी अभ्यंकर बताते हैं कि 5 जून 2020 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व सेवा भारती के माध्यम से 92,656 स्थानों पर 7,38,1,802 यानी 73,लाख से अधिक राशन पैकेट व 4 करोड़ से अधिक तैयार भोजन के पैकेट बांटे गए। वे कहते हैं स्वयंसेवकों ने सेवा को अपना सौभाग्य माना व अनवरत सेवा कार्य में जुटे रहे।

विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन ने दुनिया की सबसे बड़ी महामारी से लड़ने के लिए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया। जो लोग कोरोना से बचने के लिए मास्क नहीं खरीद सकते थे ऐसे 90,02,313 लोगों को मास्क बांटा गया, लॉकडाउन में फंसे 1,90,000 लोगों को रहने की जगह दी गई। कोई ऐसा आयाम नहीं था जहां संघ के स्वयंसेवक सेवा के लिए तत्पर पर नहीं थे। डॉक्टरों के साथ पीपीई किट पहनकर स्क्रीनिंग के लिए निकले युवा स्वयंसेवक हों, या गर्भवती बहनों के पोषण की चिंता कर रही राष्ट्रीय सेविका समिति की बहनें। यह एक अनंत यात्रा थी।

राष्ट्रीय सेवा भारती की 24 घंटे चलने वाली हेल्पलाइन पर मददद मांगने वाले जरूरत मंद परिवारों की व्यवस्था देख रहे राष्ट्रीय सेवा भारती के महामंत्री श्रवण कुमार जी बताते हैं कि हमने उनकी भी व्यथा सुनी जो कह नहीं पाए। दिल्ली के यमुना पार्क, पुणे के रेडलाइट इलाकों के सेक्स वर्कर्स तक भी हमारी टीम निरंतर राशन पहुंचाती रही। इंदौर में भयावह हो रहे कोरोना संकट के बीच अनवरत ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को जब विश्राम देने की बारी आई तो बैरिकेट्स पर स्वयंसेवकों ने मोर्चा संभाला।