अम्बरीश पाठक
आज वो चाहकर भी अपने आंसू रोक नहीं पा रही थी, दरअसल यह खुशी का अतिरेक था, जो आखों से बह निकला था, थोड़े से पैसों की खातिर 20 बरस पूर्व, पिता द्वारा साहूकार के पास गिरवी रख दी गयी ज़मीन सीता ने आज सूद समेत पूरे 60,000 रुपए चुका कर छुड़वा ली थी।
तमिलनाडू के एक छोटे से गांव कडापेरी की सीता का परिवार अब कर्ज की बेड़ियों से मुक्त था। यह कर्ज़ कभी उतर न पाता अगर श्री मधुरम्मन स्वयं सहायता समूह की बहनें उसकी मदद को आगे न आतीं।
संघ के वरिष्ठ प्रचारक सुंदर लक्ष्मण बताते हैं 20 वर्ष पूर्व तमिलनाडू में पिछड़े वनवासी गांवो के लोगों के इम्पावरमेंट के लिए सेवा भारती ने स्वयं सहायता समूहों को खड़ा करने की शुरुआत की थी। आज पूरे तमिलनाडू में सेवा भारती के माध्यम में इनकी संख्या 4000 हज़ार से भी अधिक पहुंच चुकी है। यह स्वयं सहायता समूह आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ समाज में एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना को भी बढावा दे रहे हैं।
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बात यदि अन्चुकन्न्दराइ गांव के राजू की करें तो वो शायद आज जीवित ही न होता, यदि समूह से न जुड़ा होता। कुछ बरस पहले जब उसे हार्टअटैक आया और तुरंत ऑपरेशन की ज़रूरत थी, तब उसकी बेटी को दस समूहों की सदस्यों ने मिलकर पैसे दिए थे। वहीं थाड़ीक्करन्कोनम गांव की एक विधवा का घर दुर्घटनावश जल कर राख हो गया, तब भी उन बूढ़ी मां के सहयोग के लिए समूह की सभी बहनों ने गृहस्थी की आवश्यक सामग्री जुटाई और पक्का मकान भी
बनाकर दिया।
अभी पूरे भारत में ऐसे ही स्वयं सहायता समूह खड़े करने के लिए स्थान-स्थान पर प्रवास कर रहे संघ के प्रचारक सुंदर लक्ष्मण के अनुसार तामिलनाडू में कन्याकुमारी जिले के थिरपरप्पू गांव में तो जाति पंचायत से टकराने में भी समूह सदस्याएं घबराई नहीं। जब पंचायत ने समूह से पिछड़ी जाति की महिलाओं को निकालने का फरमान सुनाया तो महिलाओं ने इस तुगलकी फैसले को मानने से इनकार कर दिया।
वनवासी क्षेत्रों में फैले साहूकारी शोषण व जाति भेदभाव के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले यह स्वयं सहायता समूह शराब के खिलाफ मोर्चा खोलने से भी नही कतराए। थाट्टीकेरे गांव से शराब का ठेका हटवाने के लिए समूह की महिलाएं कलेक्टर तक जा पहुंची व ठेका हटवाकर ही मानीं।
ठीक ऐसे ही मुरुथनकोड़े गांव में समूह सदस्याओं ने अवैध शराब बनाने की एक फैक्ट्री को बंद करवा एक नज़ीर कायम की। यहां आयुर्वेदिक दवा अरिष्टनम के नाम पर नकली शराब बनाने का धंधा चल रहा था। कई लोग इसे पीकर मर भी चुके थे। समूह सदस्याओं ने कानूनी लड़ाई लड़कर इस फैक्ट्री का लाइसेंस ही रद्द करवा दिया।
दरकती मानवीय संवेदनाओं के इस दौर में यह स्वयं सहायता समूह इंसानी सहयोग और भाईचारे की नई मिसाल बन उभरे हैं। तमिलनाडू के ही नागरकोविल कस्बे के निकटवर्ती एक गाँव में समूह की सदस्याओं ने भरतकली की 23 वर्षीया विधवा बेटी शांति के पुनर्विवाह के खर्च का बीड़ा उठाया तो दूसरी ओर एक गाँव में कैंसर पीड़ित एक खेत मज़दूर महिला की मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार से लेकर उसकी अनाथ बेटियों अनिता और कला की शादी करने तक हर संभव सहायता की।
संघ के स्वयंसेवक पूरे भारतवर्ष में वैभवश्री के नाम से इस प्रकार के स्वयं सहायता समूह खड़े कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य स्वयं सहायता, स्वावलंबन, स्वाभिमान एवं परस्पर विश्वास के सिद्धांतों पर चलकर सबका मंगल विकास करने की है। जिससे की पिछड़े, निर्बल एवं वंचित वर्ग में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान का भाव बढे।
संपर्क – सुन्दर लक्ष्मण
मोबाइल नंबर – 09443749595