न्यूयॉर्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अमेरिका के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शामिल होना उनके देश की इतिहास की सबसे बड़ी गलती थी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भाग लेने यहां पहुंचे श्री खान मंगलवार को विदेश मामलों की परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका पिछले 19 सालों से अफगानिस्तान में असफल रहा तो यह पूरी संभावना है कि यह अगले 19 सालों में शायद ही विजयी होगा।
जियो न्यूज के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति के बारे में चर्चा करते हुए श्री खान ने कहा कि विश्व समुदाय को कश्मीर घाटी में कर्फ्यू हटाने के लिए भारत को कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्तान को काली सूची में डालने की कोशिशों के कारण भारत के नापाक इरादे स्पष्ट हो चुके हैं।
श्री खान ने कहा कि पिछली सरकारें आर्थिक संकट का हल खोजने में विफल रहीं ,जिसके कारण मौजूदा सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पर निर्भर रहना पड़ा।
उन्होंने कहा कि चीन, सऊदी अरब एवं संयुक्त अरब अमीरात ने संकट के समय , विशेष रूप से अर्थव्यवस्था में सुधार करने में पाकिस्तान की मदद की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आई थी, तब देश की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी और चीन मदद करने वाला पहला देश था। उन्होंने कहा कि पड़ोसी अफगानिस्तान से रूस (पूर्व सोवियत संघ) की वापसी के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को अकेला छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि 9/11 के बाद अमेरिका को फिर से पाकिस्तान की मदद की जरूरत महसूस हुई।