मथुरा । अयाेध्या में बाबरी मस्जिद ढांचे के अस्तित्व काे नकारते हुये द्वारका शारदा पीठाधीश्वर एवं ज्येतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने गुरूवार को कहा कि रामजन्मभूमि पर तो केवल रामलला का मंदिर ही बनेगा जिसे शंकराचार्य मिलकर बनवाएंगे।
शंकराचार्य ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बाबरी मस्जिद के पैरोकार की इस दलील में कोई दम नही है कि वहां पर बाबरी मस्जिद थी। हकीकत यह है कि बाबर कभी अयोध्या आया ही नही और ना ही कभी मीरबाकी आया। जब बाबर आया ही नही और न मीर बाकी ही आया तो बाबर के नाम की मस्जिद कहां से बन गई।
धर्मगुरू ने दावा किया कि उन्होंने अपनी आंखों से देखा है कि वहां जो मंदिर बना था उसमें 14 कसौटी के खंभे थे, मंगल कलश बना हुआ था, हनुमान जी का चित्र बना हुआ था। उस परिसर में वजू का कुआं नही था। अजान बोलने के लिए मीनार नही थी और जो गर्भगृह बना था उसकी परिक्रमा बनी हुई थी। यह साबित करता है कि वहां मस्जिद के चिन्ह न होकर प्राचीन मंदिर के अवशेष थे।
उन्होने कहा कि कुछ लोगों ने उसे मस्जिद कहकर तोड़ दिया तो दुनिया में यह बात फैल गई कि जरूर यहां मस्जिद रही होगी वरना ये मंदिर तो तोड़ते नही। उनका कहना था कि वहां खुदाई में मूर्तियां भी मिली है तो जब वहां पर मस्जिद का अस्तित्व था ही नही तो झगड़ा कहां का है।
शंकराचार्य ने कहा कि कोई भी राजनैतिक पार्टी मंदिर बना ही नही सकती, क्योंकि वह बनाने की हैसियत में तब हाेगी जब वह सत्तारूढ हो जाएगी। सत्तारूढ होते ही मंत्रिमंडल संविधान की शपथ लेगा। संविधान धर्मनिरपेक्ष है। ऐसे में सरकार मंदिर , मस्जिद या गुरूद्वारा गिरजाघर में से कुछ भी नही बना सकती। इसलिए यह राजनीतिक दलों द्वारा नही बनाया जा सकता इसका तो निर्माण केवल संत या शंकराचार्य ही कर सकते हैं।
उन्होने कहा कि उसके लिए पहले से रामालय ट्रस्ट बना हुआ है जिसमें सभी शंकराचार्य हैं। वे जनता के सहयोग से राम मंदिर बनाएंगे और वहीं बनाएंगे और वहां पर रामलला का विगृह होगा।
धर्मगुरू ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि वे मंदिर तो बनाएंगे पर देवी देवता का नही बल्कि आदर्श राम का मंदिर बनाएंगे। राम आदर्श तब हुए जब उन्होंने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की। जब उन्होंने पिता की आज्ञा से वन गमन किया या वन से लौटकर अयोध्या आए और राज किया। बालक कहां आदर्श होता है। जो दशरथ जी के आंगन में खेल रहा है उसका मंदिर शंकराचार्य बनाना चाहते हैं।
राममंदिर निर्माण को लेकर भाजपा के वादे के संबंध में पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि वास्तव में भाजपा का उद्देश्य सनातन धर्म का उत्कर्ष नही है। उसका उद्देश सनातन धर्मावलम्बियों का समर्थन लेकर सत्तारूढ़ होना है। भाजपा आरएसएस से संबद्ध है। आर एस एस के बहुत अच्छे सरसंघचालक हुए हैं माधव सदाशिवराव गोलवरकर।
गोलवरकर ने कहा था कि हिंदुओं की सबसे बड़ी कमजोरी है कि अपने महापुरूषों को ईश्वर की श्रेणी में ढकेल देते हैं। उन्होंने पहले लोकमान्य तिलक का उदाहरण दिया था और फिर राम का उदाहरण देते हुए कहा था कि रावण द्वारा सीताहरण के बाद राम उसी प्रकार से विलाप कर रोये थे जैसे मनुष्य करते है। इस प्रकार उन्होंने यह सिद्ध कर दिया था कि राम भी मनुष्य थे। उन्होनें कहा कि जो राम को मनुष्य मानता है वह उनका मंदिर क्यों बनवाएगा।
शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने स्वयं कुछ लोगों से कहा कि’’ साईं हिंदुओं का पूज्य नही है। हिंन्दू धर्म में सांई को शास्त्रोक्त देवता नही माना है हैं। इसलिए उन्हें अपना आराध्य नही बना सकते। न वह ईश्वर है और न गुरू है न संत है।’’ इस पर आरएसएस के भइया जी जोशी कहते हैं कि ’’
शंकराचार्य को सांई का विरोध नही करना चाहिए क्योकि उनके अनेकों स्वयंसेवक सांई के भक्त हैं। सांई में भी ईश्वर का अंश है। ’’सवाल यह है कि जब आपको सांई में भी ईश्वर दिखाई पड़ता है और राम में दिखाई पड़ता है तो फिर शिरडी में सांईं मंदिर बनेगा या अयोध्या में राम मंदिर बनेगा पहले इसका खुलासा होना चाहिए।
उन्होने कहा कि अयोध्या में जो जीर्णशीर्ण हालत में मस्जिद है उसे मुसलमान भव्य रूप दे दें इसमें उन्हें कोई एतराज नही लेकिन हिंदू तो इसलिए नही हठ सकते क्योंकि वह राम की जन्मभूमि है। मस्जिद पास बनाने में झगडे की संभावना है। इसलिए मुसलमानों को रामजन्मभूमि पर मस्जिद बनाने के दुराग्रह को छाेड़ देना चाहिए।