सबगुरु न्यूज। एनसीपी मुखिया शरद पवार का नाम जब जब आता है समझ लीजिए राजनीति में कुछ नया होने वाला है। पवार 6 महीने बाद एक बार फिर राजनीति का नजारा देखने के लिए मुंबई की सड़कों पर निकले हैं। पवार जब-जब मुलाकात करते हैं तब महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो जाती है। मंगलवार को उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। एक हफ्ते में दोनों नेताओं की यह दूसरी मुलाकात है। लेकिन हलचल तो पैदा हुई उनकी एक दिन पहले की मुलाकात से।
वह सोमवार को गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मिले, जिसके बाद ठाकरे सरकार के भविष्य को लेकर अटकलें शुरू हो गईं। हालांकि, शिवसेना और एनसीपी दोनों ही सब कुछ ठीक होने का दावा कर रही हैं लेकिन पवार तो पवार हैं, उन्हें समझना इतना आसान भी कहां है। राज्यपाल से मुलाकात पर शरद पवार ने कहा कि मैं उन्हें उस समय से जानता हूं, जब वह उत्तराखंड के सीएम थे। मेरी मुलाकात बस शिष्टाचार मुलाकात थी। सरकार के उपर कोई संकट नहीं है। इस बार भी ऐसे ही कुछ हो रहा है, पवार न जाने किस सत्ता को किस ओर मोड़ने जा रहे हैं अभी तक कोई नहीं जानता।
महाराष्ट्र में पिछले वर्ष शिवसेना की सरकार बनाने में शरद पवार का बड़ा हाथ था
वर्ष 2019 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद शरद पवार ही ऐसे नेता थे जो कि किंगमेकर बनकर उभरे थे। उन्हीं के जबरदस्त प्रयासों के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी इलाका गठबंधन सरकार बनी थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था लेकिन सीएम पद को लेकर पेच ऐसा फंसा कि सरकार नहीं बनी और राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
नवंबर में अचानक राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया और फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली। उनके साथ शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने डेप्युटी सीएम पद की शपथ ले ली। पिछले साल का महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा कोई कैसे भूल सकता है। यहां आपको बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर राष्ट्रपति शासन लगाने के आरोप लगाए थे उसी को लेकर पिछले कुछ दिनों से राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है
शरद पवार की राजनीति को समझना कभी आसान नहीं रहा
महाराष्ट्र में पुरानी कहावत है शरद पवार अभी तक सत्ता पाने के लिए कई बार चौकानेवाले फैसले कर चुके हैं। एनसीपी प्रमुख को समझना किसी के बस की बात नहीं है। महाराष्ट्र में शरद पवार का राजनीति में कद का सबसे बड़ा माना जाता है। महाराष्ट्र के सत्ता पिछले 50 वर्षों में शरद पवार के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। 1978 में जब पवार 38 साल के युवा थे तो महाराष्ट्र की वसंत दादा पाटिल सरकार को गिराकर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था। जनता पार्टी के समर्थन से वह तब महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने।
उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है। तब से ही पवार महाराष्ट्र और देश के सियासी फलक पर छाए हुए हैं। दूसरी ओर शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे की मुलाकात हुई है जो डेढ़ घंटे चली। उन्होंने कहा कि सरकार मजबूत है और उस पर कोई खतरा नहीं है। वास्तव में यही बयान बताता है कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। अगर सब कुछ सही है तो इसकी मुनादी की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए। शिवसेना कह रही है सब ठीक है। कांग्रेस भी कह रही है सब अच्छा है। एनसीपी भी कह रही है कि सब बढ़िया है। कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र में अंदरखाने सियासी दांव-पेच भी शायद शुरू हो चुका है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार