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फ़िल्म और शास्त्रीय संगीत का एक साथ तड़का

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फ़िल्म और शास्त्रीय संगीत का एक साथ तड़का
shastriya sangeet aur indian cinema
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फ़िल्म और शास्त्रीय संगीत | फिल्मों में अक्सर जो शास्त्रीय पर आधारित गाने के नाम पर अस्सी के दशक के बाद सुनाई देता रहा वो मुजरा होता था जो किसी तवायफ़ के कोठे पर चल रहा होता था। कोठे पर आम तौर पर ठुमरी चलती है। राग भूपाली में ठुमरी नहीं होती, इसलिए भी ये बाद की फिल्मों में कम सुनाई दिया। इस राग में सात सुरों में से सिर्फ 5 सुर ही इस्तेमाल होते हैं, सभी सुर नहीं लगते। कोमल और दीर्घ स्वर भी नहीं होते इसलिए ये सीखने के लिए आसान रागों में से एक गिना जाता है। जो शास्त्रीय संगीत सीखते हैं उन्हें शुरू में राग यमन, राग भैरव के साथ राग भूपाली सिखाया जाता है।

संगीत को लिखने का लिहाज से देखे तो भारत में ज्यादातर श्रुति परंपरा रही है, इसलिए English म्यूजिकल नोटेशन की तरह इसे एक ही तयशुदा तरीके से नहीं लिखा जाता। भारत में फ़िलहाल लिखने के 2 तरीके भातखंडे और पालुस्कर दोनों प्रचलन में हैं। राग भूपाली को ही कर्णाटक संगीत में मोहनम कहते हैं और इस से बिलकुल मिलता जुलता एक राग देशकर भी होता है। देशकर और भूपाली में मामूली सा अंतर ये है कि भूपाली कल्याण थाट का होता है और देशकर, बिलावल थाट का। आरोह-अवरोह समझना भी मुश्किल नहीं होता।

सात सुर सा, रे, गा, म, पा, ध, नी एक क्रम में लगभग सबको पता होते ही हैं। राग भूपाली में म और नी इस्तेमाल नहीं किये जाते तो उन्हें हटा कर सीधे यानि बढ़ते क्रम में लिख देते हैं। बढ़ते क्रम में लिखना आरोह (आरोहण यानि उपर चढ़ना) हो जाएगा : सा, रे, गा, पा, ध, सा और अवरोह यानि उतारना होगा : सा, ध, पा, गा, रे, सा। समय के हिसाब से ये रात के पहले पहर का होता है और रस के हिसाब से इसे भक्ति रस का माना जाता है। इसी पर आधारित और फ़िल्मी गाने देखने हों तो एक गाना है “पंख होते तो उड़ आती रे” (सेहरा) या “दिल हुम हुम करे” (रुदाली का) सुन सकते हैं।

लेकिन पुराने गाने के बदले बिलकुल ही नए गाने पर तुले हुए हैं तो हाल में एक नए वाले मनोज कुमार यानि अक्षय कुमार (Akshya kumar) की फिल्म आई थी “नमस्ते लन्दन” (Namste london) । उसका एक गाना है “मैं जहाँ रहूँ”, वही तेरी याद साथ है वाला, वो भी इसी राग पर आधारित है। चुनते रहिये। बाजारों चौराहों से गुजरते कभी कंप्यूटर ट्रेनिंग के इश्तेहार देखे हैं ? उनमें अक्सर एक सी शार्प सिखाने का प्रचार होता है । जावा के बगल में ही C # का निशान बना होता है ।

कभी सोचा है कि ये C# क्या है ?

असल में ये एक म्यूजिक नोटेशन होता है । आम तौर पर जो आप हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में सात सुर जानते हैं वैसे ही अंग्रेजी में भी सात ही सुर होते हैं । लेकिन इनके अलावा एक कोमल स्वर के नाम से जाने जाने वाले सुर भी होते हैं ।

हिंदी में हम लोग सात सुरों के लिए सा, रे, गा, मा जैसा लिखते हैं वैसे ही ये कोमल स्वर अंग्रेजी में जो होते हैं उनके नाम लिखने के लिए C# या F# इस्तेमाल होते हैं । इसी से प्रेरणा लेकर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का नाम सी शार्प (C#) रखा गया ।

अब आप शायद सोच रहे होंगे कि सुर होते कितने हैं ? भारतीय शास्त्रीय संगीत में इनकी गिनती 12 होती है । अगर आप सोच रहे हैं कि आपने शास्त्रीय संगीत नहीं सुना इसलिए आपने सभी 12 सुर नहीं सुने तो आप फिर से गलत सोच रहे हैं । दूरदर्शन का जो पुराना वाला प्रचार होता था “मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा” वाला ! उसमें ये 12 के 12 इस्तेमाल होते हैं । अब फिर अगर आप कहीं ये सोच रहे हैं कि आपने पुराने ज़माने का ये प्रचार तो सुना ही नहीं इसलिए बारह सुर नहीं सुने तो आपने इश्किया फिल्म का “दिल तो बच्चा है जी” तो सुना ही होगा ? उसमें भी 12 सुर इस्तेमाल होते हैं ।

इनके अलावा भी कई गाने हैं जो 12 सुर इस्तेमाल करते हैं । जो भी गाना राग भैरवी पर आधारित होता है उसमें ऐसा होगा । राग भैरवी सुबह के समय गाया जाने वाला राग है । किसी क्लासिकल म्यूजिक कॉन्सर्ट में गए होंगे तो आखरी वाला गाना राग भैरवी का होता है । बिलकुल वैसे ही जैसे बार बंद होते समय कैलिफोर्निया वाला गाना बजता है । इसपर आधारित कई गाने हैं, पुराने में “लागा चुनरी में दाग”, “रमैया वस्ता वैया”, “चिंगारी कोई भड़के” जैसे गाने हैं । नयी फिल्मों में जोधा-अकबर (jodha Akabar) का “मनमोहना”, हेट स्टोरी वाला “आज फिर तुमपे प्यार आया है”, लक बाय चांस का “सपनों से भरे नैना” । बहुत से गाने हैं । राग भैरवी कैसा भी होता है तो इसे भी सुन सकते हैं ।