नयी दिल्ली । आम चुनाव में एकजुट होकर विपक्ष के चुनाव लड़ने को मंगलवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब दिल्ली कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन करने से साफ इन्कार करते हुए अकेले मैदान में उतरने का एलान किया।
दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष और तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित ने यह एलान करते हुए कहा कि पार्टी के नेताओं की एक राय है कि पार्टी को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए और आप के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की दिल्ली के पार्टी नेताओं के साथ करीब दो घंटे चली बैठक के बाद श्रीमती दीक्षित ने यह घोषणा की। पूर्व मुख्यमंत्री दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालने के बाद से ही किसी पार्टी के साथ गठबंधन के लिए तैयार नहीं थीं।
अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से छह पर शनिवार को उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। इसके बावजूद पार्टी ने कहा था कि कांग्रेस की तरफ से कोई प्रस्ताव आने पर विचार किया जायेगा।
वर्ष 2014 के आम चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विजयी हुई थी जबकि इससे पहले 2009 में सभी पर कांग्रेस काबिज थी। वर्ष 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया था और आप ने 70 में से 67 सीटों पर विजयी हुई थी।
पिछले काफी दिनों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि दिल्ली की सात सीटों में से कांग्रेस और आप तीन-तीन सीटों पर तथा एक सीट पर निर्दलीय को लड़ाया जा सकता है।
वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा के चुनाव में पहली बार उतरी आप ने 70 में से 29 सीटों पर विजय प्राप्त की थी और कांग्रेस के आठ विधायकों के सहयोग से श्री केजरीवाल ने सरकार बनाई थी। दोनों के बीच यह सहयोग अधिक दिन नहीं चला और मात्र 49 दिन बाद श्री केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में आप की रिकार्ड तोड़ जीत ने सभी को चौंका दिया था।