माउंटआबू। राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के अज्ञातवास की कर्मस्थली शेरगांव के मतदाताओं को लोकसभा चुनाव में मतदान करने के लिए तीन दिन का समय लग जाता है।
अरावली पर्वत श्रृंखलाओं की उच्चतम चोटी गुरूशिखर से उतर पूर्वी ईशान कोण की ओर एक पगडंडी माउंटआबू से छत्तीस किलोमीटर दूर बीहड़ वन्यक्षेत्र के बीच बसे शेरगांव जाती है जहां के मतदाता चुनाव के समय मतदान करने के लिए करीब पन्द्रह किलोमीटर पैदल आकर उतरज मतदान केन्द्र पर अपना मतदान करेंगे।
मतदाता भभूत सिंह के अनुसार वोट देने के लिए मतदाताओं को हर बार की तरह इस बार भी तड़के ही घर से अपनी रोटी बांधकर चलना पड़ेगा। पहाड़ी ढलान, अत्यंत उबड़ खाबड़, कंटीली पत्थरीली झाडिय़ों के बीच से गुजरते हुए करीब पंद्रह किलोमीटर की लंबी दूरी पैदल तय कर उतरज पहुंचेंगे। मतदान करने के बाद वापस जाने में देर होने की स्थिति में रात को वहीं डेरा डालना पड़ेगा।
इसी तरह अन्य मतदाता रूप सिंह बोराणा ने बताया कि ग्राम पंचायत चुनाव को छोडक़र पंचायत समिति से लेकर जिला परिषद, विधानसभा, लोकसभा के कोई भी प्रत्याशी या उनका कोई प्रतिनिधि शेरगांव के मतदाताओं से वोट मांगने नहीं आया। यहां तक कि कई लोगों को यह भी पता नहीं है हमारे प्रतिनिधि कौन हैं। हम लोग विकट परिस्थितियों में जीवनयापन करने के बावजूद भी निरंतर वोट देते चले आ रहे हैं।
मतदाता तेज सिंह सोलंकी के अनुसार कई लोग वोट देने के लिए निर्धारित तिथि से एक दिन पहले ही घर से चल देंगे। जो रात को उतरज गांव में पड़ाव डालकर दूसरे दिन वोट देकर वापस गांव आकर उन परिजनों को वोट देने के लिए छुट्टी देंगे जो मवेशियों एवं बच्चों की देखरेख के लिए गांव में थे। ये लोग शाम तक मतदान के आखिर में अपना मत दे सकेंगे और रात को वहीं रुककर दूसरे दिन गांव पहुंचेंगे। ऐसे में इस गांव के मतदाताओं को मतदान के लिए तीन दिन लग जाते हैं।