चंडीगढ़। संसद में पारित कृषि विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार से अलग होने की शनिवार देर रात घोषणा की।
शिअद अध्यक्ष एवं सांसद सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता में पार्टी की कोर कमेटी देर शाम यहां हुई आपात बैठक में सर्वसम्मति से राजग से नाता तोड़ने का फैसला लिया गया। बैठक लगभग चार घंटा चली और इसके बाद बादल ने स्वयं मीडिया के समक्ष शिअद के राजग से अलग होने की घोषणा की।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित कृषि सम्बंधी विधेयकों के विरोध में देशभर में किसान संगठन आंदोलनरत हैं। वहीं हरसिमरत कौर बादल भी इन विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुकी हैं।
बादल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी नीत राजग सरकार ने उनसे कभी इन कृषि विधेयकों के बारे में राय मश्विरा नहीं किया। हम कभी भी ऐसे कानून का हिस्सा नहीं हो सकते जो किसान विरोधी हो और न ही कदापि किसानों के हितों से समझौता करेंगे।
उन्होंने कहा कि शिअद ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसलों के सुनिश्चित विपणन हेतु विधायी गारंटी देने की केंद्र सरकार से मांग की थी जिस पर विचार नहीं किया गया। इसके अलावा केंद्र सरकार पंजाबी और सिख मुद्दों के प्रति भी कथित तौर पर असंवेदनशीलता थी। इसका एक प्रमाण जम्मू कश्मीर में पंजाबी को आधिकारिक भाषाओं की सूची से बाहर करना है। ऐसी कुछ वजह हैं जिनके कारण शिअद को राजग से नाता तोड़ना पड़ा है।
शिअद अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी अपने मूल सिद्धांतों, सांप्रदायिक सदभाव और सामान्य रूप से पंजाब, पंजाबी और विशेष रूप से किसानों और किसानों के हितों की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि ‘यह निर्णय पंजाब के लोगों, विशेषकर पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और किसानों के परामर्श करके लिया गया है।
उन्होंने दावा किया किसान पहले ही परेशान हैं और सम्बंधित कृषि विधेयक उसके लिए और घातक और विनाशकारी साबित होंगे। उन्होंने कहा कि शिअद, भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी था लेकिन भाजपा नीत केंद्र सरकार ने किसानाें की भावनाओं का सम्मान करने की बात नहीं सुनी।
अकाली नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने बैठक के बाद अपने बयान में दावा किया शिअद को पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल और अब राजग छोड़ने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार किसानों, विपक्ष और अकाली दल के विरोध के बावजूद कृषि विधेयक लाने पर अड़ी हुई थी।
उल्लेखनीय है कि शिअद के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल राजग के मुख्य संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्होंने अनेकों बार कहा कि शिअद और भाजपा का नाखून और मांस का रिश्ता है जो कभी अलग नहीं हो सकते। पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन ने तीन दशकों तक गठबंधन में चुनाव लड़े था। हाल ही हरसिमरत कौर बादल के केंद्र में मंत्री पद छोड़ने के बाद भी, शिरोमणि अकाली दल पर कांग्रेस द्वारा हमला किया गया था।
बादल ने कहा कि किसान राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और यह राष्ट्रहित में है कि सरकार को उनके साथ खड़ा होना चाहिए। लेकिन वर्तमान सरकार की नीतियां महत्वपूर्ण राष्ट्रहितों के खिलाफ चल रही हैं। उन्होंने दावा किया कि कृषि विधेयकों पर सरकार का फैसला न केवल किसानों के हितों के लिए बल्कि खेत मजदूरों, व्यापारियों, दलितों के हितों के लिए बेहद हानिकारक है जो खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं।
कोर कमेटी की बैठक में बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, चरनजीत सिंह अटवाल, निर्मल सिंह काहलों, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, बीबी जागीर कौर, डॉ. उपिंदरजीत कौर, जनमेजा सिंह सेखों, सिकंदर सिंह मलूका, बिक्रम सिंह मजीठिया, हीरा सिंह गाबड़िया, जगमीत सिंह बराड़, सुरजीत सिंह रखड़ा, बलदेव सिंह मान तथा मनजिंदर सिंह सिरसा भी शामिल थे।