मुंबई। शिवसेना ने श्रीलंका में आतंकवादी हमले के बाद ‘बुर्का’ प्रर प्रतिबंध लगाने के वहां की सरकार के कदम की प्रशंसा की है।
शिवसेना ने बुधवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा कि श्रीलंका का बुर्का पर प्रतिबंध लगाना एक आपातकाल कदम है ताकि सुरक्षा बलों को किसी व्यक्ति की पहचान करनेे में कोई परेशानी नहीं हो। चेहरा ढकने वाले या बुर्का पहनने वाले लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं।
संपादकीय में कहा गया कि ‘बुर्का पर प्रतिबंध’ जैसे प्रतिबंध की सिफारिश शिवसेना अतीत में कर चुकी है। बुर्का पर प्रतिबंध रावण की श्रीलंका में तो लागू हो गया है अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमारा सवाल है कि हमारे देश में यह कब लागू होगा।
शिवसेना ने कहा कि इस तरह की धार्मिक परंपराएं राष्ट्रीय सुरक्षा में हस्तक्षेप करती हैं इसलिए इसे तुरंत ही इन्हें समाप्त कर देना चाहिए और मोदी को अब यह कदम उठाना होगा।
पार्टी ने संपादकीय में कहा कि इस तरह के काम के लिए सर्जिकल स्ट्राइक करने जैसी हिम्मत की जरूरत है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने अपने देश में सभी सार्वजिनक स्थानों पर बुर्का या पर्दा या किसी भी तरह से चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाकार रातों रात यह काम कर दिखाया है।
शिवसेना ने आरोप लगाया कि कई मुसलमानों ने धर्म (इस्लाम) का सही अर्थ नहीं समझा है और उन्होंने इसे ‘बुर्का’, बहुविवाह, तीन तलाक और परिवार नियोजन पर रोक जैसी प्रथाओं में उलझा दिया है।
संपादकीय में कहा गया कि जब इन प्रथाओं के खिलाफ कोई आवाज उठती है तब यह शोर शुरू हो जाता है कि ‘इस्लाम खतरे में है’। ऐसा लगता है कि मुसलमानों के बीच राष्ट्रवाद से ऊपर धर्म है।
शिवसेना ने कहा कि अतीत में तुर्की जैसे मुसलमान देशों में भी महिलाओं के लिए बुर्का और पुरुषों के लिए दाढ़ी पर प्रतिबंध लग चुके हैं, विशेष रूप से कमाल पाशा ने संदेह जाहिर किया था कि इन प्रथाओं का दुरुपयोग राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता है इसलिए इन प्रथाओं का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है।
पार्टी ने कहा कि कुछ समय पहले ही लिट्टे के आतंक से छुटकारा पाने वाला श्रीलंका अब इस्लामिक आतंक की गिरफ्त में है। संपादकीय में कहा गया कि अन्य देश इस तरह के कठोर कदम उठा रहे हैं जबकि भारत में इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य बर्बाद किये जाने पर भी यह कदम नहीं उठाया गया है।