नई दिल्ली। शिवसेना ने अपने पूर्व सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला करते हुए आज कहा कि देश के सामने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) नहीं बल्कि बढ़ती बेराेज़गारी एवं महंगाई तथा महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार बड़ी समस्या है।
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव चर्चा में भाग लेते हुए शिवसेना के नेता विनायक राऊत ने कहा कि जुलाई 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद के अभिभाषण और उनके इस अभिभाषण में कोई अंतर नहीं है। कई बातें दोहरायी गयीं हैं। सिर्फ घोषणा नहीं बल्कि अमल की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 एवं 35 ए हटाने के बाद कितने भारतीय वहां गये और कितना व्यापार बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अखंड भारत के सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्धता के कारण शिवसेना जम्मू कश्मीर के भारत में एकीकरण का समर्थन करती है लेकिन केवल एक पार्टी के लाभ के लिए नहीं वरन जम्मू कश्मीर के लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए।
राऊत ने कहा कि राष्ट्रपति ने पड़ाेसी देशों से आये शरणार्थियों को संरक्षण देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून का उल्लेख किया लेकिन सत्तापक्ष के लोग बार बार पूछने पर आज तक नहीं बता सके हैं कि आखिर इन देशों से कुल कितने ऐसे लोग आये हैं। उन्होंने कहा कि इस देश की समस्या एनआरसी या एनपीआर नहीं है, देश की समस्या बेरोज़गारी और महंगाई तथा महिलाओं एवं बच्चों पर बढ़ता अत्याचार है। उन्होंने कहा कि इस देश में सात क्षेत्रों में करीब 3.64 करोड़ लोग बेरोज़गार हो गये हैं। बैंकिंग क्षेत्र में करीब सवा तीन करोड़ लोगों के रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है।
शिवसेना नेता ने कहा कि एनआरसी लाने के बाद 35 करोड़ भारतीयों को डिटेन्शन कैंप में रखना पड़ेगा। क्या ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने भाजपा के सदस्यों द्वारा उलाहना दिये जाने पर कहा कि हिन्दुत्व को लेकर शिवसेना को भाजपा के प्रवचन की जरूरत नहीं है। उन्होंने केन्द्र सरकार पर किसानों को लेकर असत्य बोलने का आरोप लगाया कि देश में किसान सम्मान निधि आठ करोड़ किसानों को दिये जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन असल में केवल तीन करोड़ लोगों को ही यह मिला है। उन्होंने कहा कि योजना अच्छी है लेकिन इसका फायदा सबको मिलना चाहिए। गुमराह नहीं किया जाना चाहिए।
राऊत ने कहा कि किसानों की हालत बहुत खराब है। उज्जवला योजना केवल आठ करोड़ लोगों को दिये जाने का दावा किया गया है जबकि देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या 12.5 करोड़ है। बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने अपने भाषण में केन्द्र सरकार पर बाहुबल के आधार पर काम करने का आरोप लगाया और कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण में ओडिशा में पांच चक्रवाती तूफानों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने देश में राजस्व संग्रहण घटने पर चिंता जाहिर की।
उन्होंने ओडिशा में 38 प्रतिशत आदिवासी, 12 प्रतिशत दलित आबादी के कल्याण के लिए मदद देने की मांग की और कहा कि माल एवं सेवा कर (GST) का पांच माह का बकाया अभी तक ओडिशा को नहीं मिला है। उन्होंने पुरी को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रधानमंत्री के वादे को याद दिलाया और कहा कि इस विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए संसाधन मुहैया कराये जाने चाहिए।
वाईएसआर कांग्रेस के पी वी मिथुनरेड्डी ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून के मुताबिक विशेष पैकेज दिये जाने की मांग की और पूर्ववर्ती तेलुगु देशम सरकार के कार्यकाल में राजधानी घोटाला सहित विभिन्न घोटालों की केन्द्रीय अन्वेषण एजेंसी (CBI) की जांच कराने, पोलावरम बांध के लिए 5000 करोड़ रुपए देने की मांग की।