महाराष्ट्र| 15 नवंबर यानी शुक्रवार को शिवसेना एनसीपी-कांग्रेस को लेकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने में उत्साहित थी और सोच रही थी कि शनिवार को सरकार बनाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ जाएंगे। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शुक्रवार देर रात तक करवटें बदलते रहे कि अगला नया सवेरा आएगा लेकिन यह कुछ ‘उदासी भरा’ रहा। शनिवार सुबह जब एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बयान आया कि ‘अभी सरकार बनाने में कुछ वक्त लगेगा’ सुनकर एक बार फिर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को झटका लगा है, जहां एक ओर शुक्रवार को महाराष्ट्र में सरकार बनाने की शिवसेना की कोशिशें सफल हो गई थीं और वह 17 नवंबर को सरकार का गठन करना चाह रही थी।
गौरतलब है कि शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे की 17 नवंबर को पुण्यतिथि है। इसलिए राज्य में शिवसैनिकों के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बयान ‘अभी वक्त लगेगा’ से शिवसैनिकों समेत उद्धव ठाकरे की ख्वाहिशाें को कुछ दूर कर दिया है। शरद पवार महाराष्ट्र में ही नहीं देश की राजनीति में मझे खिलाड़ी हैं ।पवार अभी कुछ दिन अपना नफा-नुकसान भी देखेंगे। हालांकि उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि इस पूरे मामले की दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।
सत्ता के लिए अब शिवसेना दिवंगत बाल ठाकरे का कर रही है प्रयोग
महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर शिवसेना सभी दांव आजमा रही है। उसको सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से मतलब है। इसके लिए चाहे किसी पार्टी से गठबंधन क्यों न करना पड़े। अब सत्ता के लिए शिवसेना ने एक और दांव चल दिया है। वह यह है कि दिवंगत बाल ठाकरे की कसमें खाई जा रही है। यही नहीं महाराष्ट्र में शिवसेना लगातार कहती आ रही है कि ये बाला साहेब का सपना था कि एक दिन एक शिवसैनिक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनेगा ?
उद्धव ठाकरे कह चुके हैं कि उन्होंने बाला साहेब से वादा किया है कि एक दिन शिवसेना का सीएम होगा। इस वादे का हवाला देकर शिवसेना बीजेपी पर दबाव बना रही थी। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के साथ उसकी डील नाकाम होने पर शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी की ओर रुख किया है। यहां हम आपको बता दें कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार कल यानी रविवार को दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। उसके बाद ही शरद पवार और कांग्रेस उद्धव ठाकरे को कोई ठोस आश्वासन दे सकती है।
भाजपा भी लगी हुई है सरकार बनाने में
ऐसा नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए प्रयास नहीं कर रही है। वहां भी अंदरखाने में रणनीति बना रही है। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई में कहा था कि ‘क्रिकेट और राजनीति में कुछ भी हो सकता है’। गडकरी का इसका आशय यह था कि क्रिकेट में जैसे अंतिम समय में उलटफेर होता है वैसे ही राजनीति में भी हो सकता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद किनारे पड़ चुकी भाजपा ने अब तक उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं। शुक्रवार को पार्टी ने कहा कि हमारे पास सबसे ज्यादा विधायक हैं, हम राज्य को एक स्थिर सरकार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि बिना बीजेपी के महाराष्ट्र में कोई सरकार नहीं बन सकती है।
पाटील ने बीजेपी के पास 119 विधायकों के समर्थन का दावा किया, इसमें 105 बीजेपी के विधायक हैं जबकि 14 निर्दलीय के समर्थन का दावा उन्होंने किया है। महाराष्ट्र की विधानसभा में 288 विधायक हैं।महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए। यहां आपको जानकारी दे दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105 सीटें आई हैं। शिवसेना के 56 विधायक जीते हैं, एनसीपी के 54 है तो कांग्रेस के 44 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। निर्दलीय और अन्य विधायकों की संख्या 29 है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार