मुंबई। मुंबई में एक हाउसिंग प्रोजेक्ट से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बुधवार को एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत को जमानत दे दी। सांसद संजय राउत एक सौ दिनों तक जेल में रहे और आर्थर रोड जेल में ही दशहरा और दिवाली मनाई।
विशेष पीएमएलए अदालत के न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने दो नवंबर को बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद अपना आदेश सुनाया। न्यायाधीश ने उसी मामले के सह-आरोपी प्रवीण राउत को भी जमानत दी और दोनों को दो-दो लाख रुपए की जमानत देने के लिए निर्देश दिया।
अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगाने के अनुरोध को भी ठुकरा दिया ताकि ईडी फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सके।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने ईडी की याचिका पर बहस करते हुए प्रस्तुत किया। कहा कि हमें आदेश पढ़ने के लिए समय चाहिए, यह एक अनुचित अनुरोध नहीं है। यह अदालत का आदेश है, उसे यह कहने की शक्ति है कि आदेश को बाद की तारीख में प्रभावी किया जाए। अदालत से शुक्रवार तक का समय मांगा।फिलहाल, अदालत ने उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया है।
संजय राउत को इस मामले में 31 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। उनकी एक जमानत याचिका को पहले पीएमएलए अदालत ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि मामले की जांच के लिए एजेंसियों को समय चाहिए।
अपनी हालिया जमानत याचिका में उन्होंने उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से इंकार किया। पीएमएल अधिनियम के तहत गिरफ्तारी से पहले, राज्यसभा सांसद ने दो बार एजेंसी के समन को छोड़ दिया था। राउत के देर शाम जेल से रिहा होने की उम्मीद है।
अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत के भाई संदीप राउत ने कहा कि ये खुशी के आंसू हैं। आज से हमारी दिवाली शुरू हो रही है। सत्यमेव जयते! हमें सौ प्रतिशत विश्वास था कि उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। यह सब जानबूझकर किया गया।