नई दिल्ली। शिवसेना के मूल चुनाव चिह्न पर अधिकार को लेकर दोनों प्रमुख गुटों के बीच कानूनी लड़ाई में निर्वाचन आयोग ने पार्टी का मूल नाम और तीर-कमान चुनाव निशान शिंदे गुुट को दिया है। आयोग ने इस मामले में शुक्रवार को जारी अंतिम निर्णय में व्यवस्था दी है कि पार्टी का नाम शिवसेना और चुनाव तीर-कमान एकनाथ शिंदे (याचिकाकर्ता गुट) के पास रहेगा।
फैसले में कहा गया है कि शिंदे गुट को इससे पहले 11 अक्टूबर को अंतरिम फैसले में आवंटित पार्टी का नाम बाला साहेब शिवसेना और चुनाव चिह्न दो तलवार और एक ढाल’ फ्रीज कर दिया जाएगा और इसका प्रयोग नहीं किया जा सकेगा।
आयोग ने शिंदे गुट को पार्टी के 2018 के संविधान में संशोधन कर उसे 1951 के जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29ए और आयोग द्वारा पार्टियों के पंजीकरण के लिए जारी नियमों के अनुसार बनाने का निर्देश दिया है जो पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की व्यवस्था बनाने के संबंध में है।
आयोग के निर्णय के अनुसार ऊधव ठाकरे गुट को महाराष्ट्र में इस समय चल रहे चिंचवाड़ और कस्बा पेठ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में शिवसेना (ऊधव बालासाहब ठाकरे) नाम और जलती मशाल का चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने का अधिकार रहेगा। ऊधव गुट को यह नाम और निशान पिछले साल 10 अक्टूबर को आयोग के अंतरिम आदेश में आवंटित किया गया था।
आयोग ने अपने अंतरिम आदेश में पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत किए जाने और आंतरिक विवादों का निपटान लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार करने पर बल दिया है। आयोग ने इसी संदर्भ में 1994 के जनता दल विवाद के मामले पर आयोग की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह बड़ी विचित्र बात है कि चुनाव चिह्न आदेश के पैरा 15 का मामला उठने पर ही पार्टियों की आंतरिक व्यवस्था का मामला जनता के सामने आता है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आयोग के फैसले को अपने कार्यकर्ताओं, सांसदों, विधायकों और पार्टी के लाखों शिवसैनिकों तथा बाला साहब ठाकरे और आनंद दिघे की विचारधारा की जीत बताया है। पुणे में शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं ने इस फैसले के बाद आतिशबाजी की।
उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने कहा कि शिंदे की शिवसेना की असली शिवसेना बनी। ऊधव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने आयोग के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इसकी पटकथा पहले ही तैयार कर ली गई है। देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। सुप्रीमकोर्ट ने पिछले वर्ष सितंबर में कहा था कि शिवसेना के चुनाव चिह्न पर फैसला निर्वाचन आयोग कर सकता है।