वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियोग्राफी सर्वे कराए जाने के प्रकरण में हिंदू पक्ष के एक वकील ने दावा किया है कि परिसर में उस स्थान पर शिवलिंग मिला है जहां, नमाजी नमाज से पहले वजू (हाथ पैर धोना) करते हैं।
हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने सोमवार को अदालत में सुनवाई के बाद कहा कि वीडियोग्राफी सर्वे के दौरान सोमवार को परिसर में स्थित वजू स्थल (कुंड) का पानी निकालने के बाद कुंड की तलहटी में शिवलिंग मिला।
वादी पक्ष की ओर से इसे महत्वपूर्ण साक्ष्य बताते हुए सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में तत्काल प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। प्रार्थना पत्र में अदालत से अनुरोध किया गया कि वह मस्जिद परिसर को सील करे तथा वजूखाने के उपयोग की इजाजत न दे। साथ ही मस्जिद में नमाज अदा करने वालों की संख्या केवल 20 तक सीमित रखी जाए।
अदालत ने इस आवेदन को स्वीकार करते हुए जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह उस स्थल को सील कर दें जहां शिवलिंग मिला है। पुलिस और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारियों को परिसर को सील करने तथा उसे संरक्षित करने का आदेश दिया गया।
गौरतलब है कि स्थानीय अदालत के आदेश पर मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे का काम दो चरणों में पूरा हुआ है। पहले चरण में सर्वे टीम छह और सात मई को मस्जिद परिसर में गई थी। छह मई को सर्वे का काम सामान्य रूप से हुआ, लेकिन सात मई को मुस्लिम पक्ष के विराेध के कारण सर्वे का काम पूरा नहीं हो पाया था।
इस मामले में दोनों पक्षों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद न्यायाधीश ने दोबारा सर्वे शुरु करने का आदेश दिया था। यह सर्वे 14 मई से तीन दिन में पूरा हुआ। सर्वे के अंतिम दिन वजू खाने से शिवलिंग प्राप्त हुआ। सर्वे के दौरान मस्जिद के तहखानों में क्या मिला, इसका ब्योरा अदालत में सर्वे रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही सार्वजनिक हो सकेगा।
राखी सिंह सहित पांच हिंदू श्रद्धालुओं ने स्थानीय अदालत में श्रृंगार गौरी स्थल और अन्य देवी देवताओं की नियमित रूप से पूजा करने की अनुमति दिए जाने को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी। अदालत ने याचिका के आधार पर एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त किया था। बाद में उनके साथ दो अन्य एडवोकेट कमिश्नर भी शामिल कर दिए गए।
वीडियाेग्राफी सर्वे टीम की रिपोर्ट पर अदालत मंगलवार, 17 मई को सुनवाई करेगी। उसी समय यह स्पष्ट हो सकेगा कि मस्जिद परिसर में कहां से, क्या सामग्री मिली है।