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शिवराज चौहान ने 'गुपकार घोषणा' मामले में सोनिया व राहुल पर हमला बोला - Sabguru News
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शिवराज चौहान ने ‘गुपकार घोषणा’ मामले में सोनिया व राहुल पर हमला बोला

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शिवराज चौहान ने ‘गुपकार घोषणा’ मामले में सोनिया व राहुल पर हमला बोला

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जम्मू और कश्मीर से जुड़े ‘गुपकार घोषणा’ के मामले में आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमले बोलते हुए कहा कि उन्हें जम्मू कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 को लेकर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करना चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता चौहान ने यहां संवाददाताओं से चर्चा में यह बात कही। चौहान ने कहा कि वे ‘मेडम सोनिया’ से पूछना चाहते हैं कि कांग्रेस का अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को लेकर वास्तव में क्या दृष्टिकोण है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की नीतियों की भी आलोचना की और कहा कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर मामले में दोगली और दोमुंही बातें करती आ रही है।

चौहान ने कहा कि सोनिया गांधी ने चर्चित बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में आंसू बहाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी आतंकवादियों के साथ खड़े हुए नजर आए थे। उन्होंने कहा कि दरअसल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में लूट की दुकानें बंद हो गई हैं, इसलिए ‘अब्दुल्ला’ ‘मुफ्ती’ और ‘गांधी परिवार’ एकजुट हो रहे हैं।

चौहान ने कहा कि राहुल गांधी ने भी अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया था और केंद्र सरकार के इस कदम को असंवैधानिक बताया था। और तो और इसे देश की सुरक्षा के लिए खतरा तक बता दिया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देशद्रोहियों का साथ इस तरह पहली बार नहीं दिया। आजादी के समय पंडित जवाहरलाल नेहरु ने सत्ता शीघ्र प्राप्त करने की चाह में देश के विभाजन को भी स्वीकार किया था।

नेहरु ने ही जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करवाया था। एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान की व्यवस्था कर कश्मीर को भारत से अलग करने का प्रयास किया गया। नेहरु ही भारत के आंतरिक मामले कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र ले गए और जनमत संग्रह तक की बात करवाई थी।

चौहान ने कहा कि दरअसल कांग्रेस अलगाववादी मानसिकता से आज भी ऊपर नहीं उठ पायी है। उन्होंने ‘गुपकार घोषणा’ का जिक्र करते हुए कहा कि यह ‘गुप्तचर संगठन’ है और चीन और पाकिस्तान के लिए गुप्तचरी का कार्य करते हुए दिखायी देते हैं। ये जासूसी करने वाले लोग हैं। ये गठबंधन नहीं है।

उन्होंने गुपकार घोषणा से जुड़े संगठन नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेताओं पर जमकर हमले करते हुए कहा कि उनके बच्चे विदेश में पढ़ते हैं। वे स्वयं विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं और कश्मीर के लोगों के हाथों में पत्थर थमा देते हैं। इन लोगों ने जम्मू कश्मीर को अंधेरे में धकेलने का प्रयास किया है और देशविरोधी भाषा बोल रहे हैं। कांग्रेस के नेता इनका साथ दे रहे हैं।

चौहान ने कहा कि कश्मीर के ही एक कांग्रेस नेता ने विवादित बयान देते हुए कहा कि वे अमरीका के नए राष्ट्रपति से जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल कराने का प्रयास करेंगे। फारुख अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती भी लगातार इसी तरह राष्ट्रविरोधी भाषा बोल रहे हैं। इन लोगों के आतंकवादियों से संबंध भी छिपे हुए नहीं हैं।

चौहान ने दोहराया कि अनुच्छेद 370 को लेकर कांग्रेस को अपना दृष्टिकोण साफ करना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस भी ‘गुपकार घोषणा’ का हिस्सा थी और है। यह बात कश्मीर और कांग्रेस नेताओं के समय समय पर आ रहे बयानों से स्पष्ट है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले माह मेहबूबा मुफ्ती अौर इसके पहले फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला रिहा हुए हैं। और अब ये लोग खुलकर देश के खिलाफ ‘विषवमन’ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू और कश्मीर के लोग खुली हवा में सांस ले रहे हैं। लेकिन अब गुपकार गठबंधन से जुड़े नेता फिर से आतंकवाद को बढ़ाना चाहते हैं। कांग्रेस का दृष्टिकोण भी गुपकार गठबंधन के साथ खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है, इसलिए उनकी नेता को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।

चौहान ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा राष्ट्रविरोधी दृष्टिकोण रखने वालों के साथ कभी नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हजारों करोड़ रुपयों के जमीन घोटाले हुए हैं। इनकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो कर रही है। जांच की आंच जब गुपकार नेताओं के पास जाने लगी। और अब वे बचने के लिए हथकंडे अपना रहे हैं। लेकिन कोई भी देशद्रोही दृष्टिकोण स्वीकार नहीं किया जाएगा।

‘गुपकार घोषणा’ जम्मू कश्मीर में विपक्षी दलों का एक गठबंधन है, जो वहां पर अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जारी किया गया था। इसे ‘पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लेयरेशन’ नाम दिया गया है। गुपकार श्रीनगर में उस मार्ग का नाम है, जहां पर नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला का निवास है। इसी स्थान पर विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक में डिक्लेयरेशन जारी हुआ था, इसलिए इसे ‘गुपकार डिक्लेयरेशन’ के नाम से जाना जाता है।