नई दिल्ली। दिल्ली के गुरुद्वारा चुनाव निदेशक नरेंद्र सिंह को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के चुनाव के बाद की प्रक्रिया में अनियमितता को लेकर गुरूवार को आईटीओ स्थित अपने कार्यालय के बाहर शिरोमणि अकाली दल के सदस्यों के विरोध का सामना करना पड़ा।
चुनाव के बाद की प्रक्रिया को लेकर निदेशक के रवैये से गुस्साए तिलक विहार से शिअद के विजयी उम्मीदवार आत्मा सिंह लुभाना ने उन पर जूता तक फेंक दिया। पुलिस ने हालांकि उन्हें सुरक्षित गाड़ी तक पहुंचा कर रवाना किया। वह दिल्ली सरकार में दानिश्क अधिकारी है।
निदेशक नरेंद्र सिंह ने इस मामले में पुलिस को लिखित शिकायत दे दी है। उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही है। वहीं इस मामले में शिअद के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और डीएसजीएमसी चुनाव में कालकाजी वार्ड से शिअद के विजयी उम्मीदवार हरमीत सिंह कालका ने गुरुद्वारा चुनाव निदेशक को ही जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने कहा कि आज हमारी पार्टी के सभी विजयी उम्मीदवार डीएसजीएमसी की को-ऑप्शन प्रक्रिया को लेकर आईटीओ स्थित गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय कार्यालय गए थे, जहां निदेशक नरेंद्र सिंह ने मनमाने तरीके से प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।
दिल्ली गुरुद्वारा एक्ट के अनुसार पहले चारों तख्तों के प्रतिनिधियों, फिर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा नामजद सदस्य, फिर दिल्ली की सभी गुरुद्वारा सिंह सभाओं की लॉटरी और अंत में को-ऑप्शन के सदस्यों को चुना जाता है, जबकि निदेशक ने इसके उलट पहले को-ऑप्शन सदस्यों का नॉमिनेशन कराया और बाद में आगे की प्रक्रिया को टाल दिया।
कालका ने निदेशक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र सिंह शुरू से ही हमारे खिलाफ काम कर है हैं। कालका ने निदेशक के खिलाफ पुलिस, उप राज्यपाल अनिल बैजल और गृहमंत्री को शिकायत करने की बात कही है।
वहीं निदेशक पर जूता फेंकने वाले आत्मा सिंह लुभाना ने भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि निदेशक ने मुझे अपशब्द कहे थे। उन्होंने मुझे मेरी सदस्यता रद्द कराने तक की धमकी दी थी और कहा था कि दिल्ली के सिख मतदाता मुझे जूते मारेंगे। इसी बात पर मैंने गुस्सा प्रकट किया है।
इस दौरान धक्का मुक्की मुझे चोट लगी है और मेरे सीने में अभी तक पर दर्द हो रहा है। मुझे हाल ही में स्टंट पड़े हैं। निदेशक ने थोड़े दिन पहले मुझे सरना गुट में जाने के लिए दो करोड़ का प्रस्ताव भी दिया था जिसे मैंने मजाक में टाल दिया था।