Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
देश भक्ति के लिए जब एक अपाहिज राष्ट्रगान में उठ खड़ा हुआ - Sabguru News
होम Headlines देश भक्ति के लिए जब एक अपाहिज राष्ट्रगान में उठ खड़ा हुआ

देश भक्ति के लिए जब एक अपाहिज राष्ट्रगान में उठ खड़ा हुआ

0
देश भक्ति के लिए जब एक अपाहिज राष्ट्रगान में उठ खड़ा हुआ
a boy short-story-of-patriotism
a boy short-story-of-patriotism
a boy short-story-of-patriotism

15 अगस्त देश की स्वतंत्रता का दिन। सारागांव बहुत खुशहाली के साथ अपना राष्ट्रीय पर्व मना रहा था। आज कलुआ और उसका परिवार भी अत्याधिक खुश था, क्योंकि उसके घर एक शिशु बालक बेटे का जन्म हुआ। मेहनत मजदूरी कर घर परिवार चलाने वाला हमेशा सोचता तिरंगा क्यों फहराया जाता है? आज तिरंगे को बहुत ध्यान से देखा और मन ही मन अपने बेटे का नाम उसने स्वतंत्र कुमार रखा और उसके सुंदर भविष्य की कल्पना लिए बहुत ही प्रसन्न था। बड़ा होता बच्चा दिनों दिन अपने बाल लीला से सब को खुश करने लगा कलुआ की तो दिनचर्या ही बदल गई थी। काम से आने के बाद तुरंत अपने स्वतंत्र कुमार को लेकर घूमने निकल जाता था।

एक साल बीतने के बाद जब उसके साथ के बच्चे चलने लगे तो कलुआ के परिवार की चिंता बढ़ गई की, अपना बेटा क्यों नहीं चल रहा? डॉक्टर के पास ले कर जाने पर पता चला कि स्वतंत्र कुमार अब चल नहीं पाएगा। कलुआ के तो पांव से धरती सरक गई वह बहुत ही परेशान हो गया बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाल कर परिवार वालों को बताया कि, अब स्वतंत्र कुमार चल नहीं पाएगा सभी दुखी हो गए, पर क्या करते। दिन बीतते गए बेटा स्कूल जाने लगा और बैठकर ही सब काम करता था।

स्कूल में सभी बच्चे उसे स्वतंत्र कुमार की जगह अब लंगड़ा कुमार कहने लगे क्योंकि वह जब तक कोई उठाता नहीं चल फिर नहीं सकता था। स्कूल में जांच के लिए बाहर से डॉक्टर आए। सभी बच्चों की जांच करते गए जब स्वतंत्र कुमार का नंबर आया। सभी ने कहा वह चल फिर नहीं सकता डॉक्टर ने ध्यान से देखा। बच्चे में बहुत तेज था वह कुछ कर सकने की उम्मीद कर रहा था। डॉक्टर ने कलुआ को बुलाकर कहा कि उससे उसका बेटा 1 साल के लिए दे दो मैं अपने निगरानी में उसका इलाज कराऊंगा।

मां बाप के लिए अपना बच्चा देना बहुत मुश्किल था। कैसा भी रहे बेटा था। उन्होंने मन में पत्थर बांध बेटे को डॉक्टर को दे दिया स्वतंत्र कुमार को डॉक्टर अपने साथ शहर ले आए दिन बीते गया घर वालों ने अब उससे मिलना छोड़ दिया था,क्योंकि गांव से शहर आना पड़ता था। दिन बीतते गए दूसरे वर्ष 15 अगस्त आया गांव के स्कूल में जहां स्वतंत्र कुमार पढ़ता था। वहां सब 15 अगस्त का जश्न मना रहे थे। गांव में सभी इकट्ठे हुए थे कलुआ भी आया था। अपने तिरंगे को लहराते हुए देखने के लिए, थोड़ी देर बाद स्कूल के बच्चे हाथ में तिरंगा लिए लाइन से खड़े हो गए। कलुआ के आंखों में आंसू अपने बेटे के लिए था। परंतु चुपचाप रो रहा था।

जैसे ही प्रधानाध्यापक ने राष्ट्रगान शुरू किया और भारत माता की जय होने पर सामने से स्वतंत्र कुमार हाथों में तिरंगा लहराता भारत माता की जय कहता दौड़ रहा था। सभी ने आश्चर्य से उसे देखा और खुशी से ताली बजाने लगे आज स्वतंत्र कुमार तिरंगा लिए पूरे स्कूल के मैदान में चारों तरफ दौड़ रहा था। कलुआ ने आज समझा कि स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा क्यों लहराया जाता है। खुशी में नाचने गाने लगा और उसने जोर जोर से चिल्लाना शुरू किया…
*भारत माता की जय।* *भारत माता की जय।*