सावन | सावन(श्रावण) का महीना महादेव को प्रसन्न करने हेतु बहुत महत्व रखता है। महादेव जो कि देवो के देव है की पूजा इस समय करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है जिसके लिए हर सोमवार को व्रत रखना चाहिए। महादेव जो की प्रभु के ध्यान में रहते हैं और हजारों वर्षों तक तपस्या में लीन रहते है और इस समय श्रष्टि के पालनहार विष्णु शयन करते हैं जिस कारण वे अपनी ध्यान योग की मुद्रा से बाहर आते हैं।
इस समय यदि उन्हें प्रसन्न किया जाए तो वह प्रसन्न होकर आपकी कामना पूर्ण करते हैं। वैसे तो शिव जी की अराधना में उन्हें बेलपत्र,धतूरा,दूध,शहद, एवम् वश्म आदि अर्पित की जाती है पर इस समय उन्हें केवल गंगाजल से स्नान द्वारा ही प्रसन्न किया जा सकता है क्योंकि उनकी ध्यान मुद्रा में होने पर विधि विधान से पूजा की जाती है। जिसका वर्णन धार्मिक ग्रन्थों में किया गया है लेकिन सावन के महीने में मात्र गंगाजल अर्पित कर और व्रत कें द्वारा उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है क्योंकि भोलेनाथ अत्यंत दयालु है और जो कि श्रृष्टि के संहारक भी माने जाते हैं।
जब कोई उनकी तपस्या भंग कर दे तो वह क्रोध में अपने तीसरे नेत्र से उसे वश्म कर देते है। जिसका वर्णन कामदेव को भस्म करने के संदर्भ में भागवत कथा में है क्योंकि शंकर इस संसार में सबसे बड़े योगी है। उनके समान कोई और नहीं और योग के समय वो सिर्फ अपने प्रभु का ध्यान करते हैं किन्तु जब विष्णु शयन करते हैं तो उन्हें उनके द्वारा सभी का कल्याण करने का एवम् विपदाओं से रक्षा करने का दायित्व होता है इसलिए इस समय उन्हें सच्चे मन से हर सोमवार गंगाजल और बेल पत्र अर्पित कर उनकी अराधना की जाती हैं और मनोकामनाए पूर्ण होती है एवम् दुष्टों का नाश हो जाता है।