सुवासरा। खाटू श्याम मित्र मंडल सुवासरा द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन राष्ट्रीय संत डॉ कृष्णानंद महाराज ने दिव्य लीलाओं के माध्यम से श्रोताओं को बताया कि यह लीलाएं श्रवण करने के साथ मनन करने व आत्मसात करने के लिए है। श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं हमें आनंदित कर देती हैं। परमात्मा की अनुभूति को महसूस करें, ये भक्ति मार्ग पर चलने के लिए हैं। निर्मल प्रेम और सात्विक भाव से ईश्वर बड़े प्रसन्न होते हैं।
प्रेम पूर्ण मुस्कुराहट बड़ी अनमोल है, चेहरे की निर्मल मुस्कान सबसे बड़ा गहना है जो बांटने से बढ़ता है। इस कलयुग में लोग मुस्कुराना भूल गए और चेहरे उतर गए हैं जिससे यह कथाएं प्रसन्नता व आनंद से भर देती हैं। खुशी व प्रेम बांटना ईश्वर की सच्ची आराधना है। चित्त की गति और मति ईश्वर की ओर है वह जीव वंदनीय है।
पूतना राक्षसी है, असुरा है लेकिन कृष्ण की ओर जा रही है। अतः ईश्वर को उपलब्ध जहर भी उसके कल्याण का कारण बन गया। जीवन में भक्ति, ज्ञान और कर्म का संयुक्त योग हमें प्रभु कृपा का पात्र बना देता है। जब हम भक्ति भाव, कर्म क्षेत्र व ज्ञान मार्ग को अलग-अलग लेकर चलेंगे तो जीवन लक्ष्य से भटक जाएंगे। ज्ञान विवेक के साथ भक्ति का समावेश हो तो कर्म पूजा बनकर आनंद और शुभ फलदाई हो जाएगा।
दृष्टिबाधित कन्या आवासीय विद्यालय लाडली घर के संचालक गुरुदेव ने माखन लीला के द्वारा समझाया कि घर की संपदा, वैभव, भोजन पर प्रथम अधिकार बाल गोपाल का है। दूसरा अधिकार वृद्ध माता-पिता, तीसरा अधिकार अतिथियों साधु संतों का और फिर स्वयं का होता है।
कथा में बड़ी संख्या में भागवत प्रेमी कथा श्रवण करने पधारे राम कथा मर्मज्ञ दशरथ भाई ने भी आरती का सौभाग्य प्राप्त किया साथ ही कुकड़ेश्वर के थानाधिकारी श्री सेंगर साहब ने गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया।