सुवासरा। सुवासरा की अमन-चैन की धन्य धरा पर जिनिंग फैक्ट्री पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन व्यासपीठ से राष्ट्रीय संत कृष्णानन्द महाराज ने कथा की पूर्णता का महात्म्य समझाया।
उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित सात दिन पूर्व भय और विषाद को लेकर गुरु शुक्रदेव के पास आए थे लेकिन आज पूर्णता को उपलब्ध हो गया जीवन, मृत्यु के बंधन से मुक्त हो गया। यही भागवत कथा और गुरु शक्ति का प्रभाव है। उन्होंने सत्यजीत की कथा के माध्यम से समझाया कि संसार रूपी धरा में अच्छाई व बुराई दो तट है जिनके बिना संसार रूपी नदी का अस्तित्व ही नहीं होगा। अतः जीवन में कभी आलोचना से घबराना मत। इस संसार में भगवान कृष्ण को भी नहीं छोड़ा। उन पर मणि की चोरी का आरोप लगाया। संयम व धैर्य के साथ जीवन जिएंगे तो सर्वत्र आनंद ही आनंद होगा।
गुरुदेव ने बताया कि वर्तमान समय में गौ संरक्षण व पर्यावरण की सुरक्षा की महती आवश्यकता है। दोनों के लिए प्लास्टिक नुकसानदायक है। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से प्लास्टिक उपयोग न करने का आग्रह किया।
सुदामा चरित्र की व्याख्या करते हुए गुरुदेव ने समझाया कि दीन हीन वह नहीं है जिसके पास धन दौलत नहीं बल्कि वह है जिसके पास ईश्वर भक्ति का धन नहीं है। सुदामा गरीब होते हुए भी ईश्वर का परम भक्त है। कृष्ण मित्र भाव भक्ति का सम्मान करना चाहते हैं, सुदामा अपने दुखों की तीन पोटलियां लेकर उनके पास गए लेकिन तीन लोक का ऐश्वर्य लेकर लौटे।
श्री खाटू श्याम मित्र मंडल के सभी सदस्यों का आभार गुरुदेव ने ज्ञापित के आशीष दिया। दाऊदी बोहरा समाज के सदस्यों व अंजुमन कमेटी के सदस्यों ने भी गुरुजी से आशीर्वाद लिया।
कथा में लाडली घर अजमेर में अध्ययनरत दृष्टिबाधित कन्याओं की विभिन्न गतिविधियों को एक प्रोजेक्ट के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। वृंदावन के कलाकारों ने सुंदर मनमोहक झांकियों से सुदामा चरित्र को प्रस्तुत किया। श्री हरनश्वर महादेव सेवा समिति व खाखरा हनुमान सेवा समिति के सदस्यों ने भी गुरुजी से आशीर्वाद लिया।
गुरुदेव ने सुवासरा में भव्य श्री खाटू श्याम का मंदिर बनवाने के लिए सभी बंधुओं से आग्रह किया। श्री खाटू श्याम मित्र मंडल ने कथा में सहयोग के लिए सभी का आभार जताया विशेषताओं का जिन्होंने भावपूर्ण कथा का श्रवण किया।