अजमेर। मन के अंदर के विकारों का नाश करने से ही मनुष्य का जीवन सुखमय होता है, वह निर्मल मन का हो जाता है। प्रभु को निर्मल मन और भोले स्वभाव वाले ही प्रिय हैं। आज के समय में हर घर में रावण है। माता पिता, भाई बहन, पति पत्नी और सगे संबंधियों के मन में कहीं ना कहीं कभी न कभी कुछ बात को लेकर कटुता आ जाती है।
महाराज ने कहा है कि मन के अंदर बसे रावण का वध करोगे तभी आप सुखी रहोगे, आपका परिवार सुखी रहेगा। जीने के लिए संघर्ष करना चाहिए। बिना श्रम किए भगवान भी सहयोग नहीं करेंगे।
श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन रविवार को महाराज ने मेघनाथ कुंभकरण, राम हनुमान संवाद, श्रीराम रावण युद्ध के प्रसंगों के जरिए श्रोताओं को असत्य पर सत्य की विजय की महत्ता बताई।
महाराज ने कहा कि जब रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बनाया तो भगवान को भाई भरत की याद आई और वे पुष्पक विमान में सवार होकर अयोध्या के लिए रवाना हुए। इस दौरान भगवान ने दो-तीन जगह पर विश्राम लिया। वे भाई भरत और परिजनों से मिले।
महाराज ने कहा कि राम कथा श्रवण करने से मन के विकार मिटते हैं और जीवन में नई आशा जगती है। किस प्रकार भगवान राम ने राज का त्याग कर 14 साल तक वनवास में निकालें यही संघर्ष आज की पीढ़ी को प्रेरणा देता है। दुख कितना भी गहरा हो परंतु उसका अंत सुखमय में होता है। इस दौरान बहुत सुंदर झांकी सजाई गई और आरती के पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।