श्रीनगर। देश की संसद पर 2001 में हुए भीषण हमले के दोषी आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी पर चढ़ाये जाने की बरसी पर मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में आहूत हड़ताल के कारण जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे तथा सड़कों पर यातायात नदारद रहा। शहर में कानून-व्यवस्था की किसी भी समस्या को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए। सुरक्षा बलों ने सिविल लाइंस में नाके स्थापित किए और वाहनों की तलाशी भी ली।
आसपास की सभी दुकानों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बंद रहने के कारण श्रीनगर के पुराने इलाके में स्थित ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में वीराना छाया रहा। ऐतिहासिक मस्जिद के दो मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया और उनके बाहर सुरक्षा बल के बख्तरबंद वाहनों को तैनात किया गया था।
नल्लामार, जैना कदल, नवा कदल और अन्य क्षेत्रों में भी व्यापार और अन्य गतिविधियां प्रभावित रहीं। सड़काें से यातायात गायब रहा हालांकि कुछ निजी और तीन पहिया वाहन नजर आए।
शहर के ऐतिहासिक केंद्र लाल चौक सहित सिविल लाइंस में भी इसी तरह के दृश्य देखे गए। सुरक्षा बलों ने लाल चौक पर एक नाका लगाया था जहां निजी वाहनों और तीन पहिया वाहनों की तलाशी ली जा रही थी।
नये शहर में भी कमोबेश यही हालात रहें हालांकि सब्जियां और दूध-ब्रेड की कुछ दुकानें खुली रहीं। कई रेहड़ी-पटरी वाले भी सड़क किनारे अपना सामान बेचते दिखे।
संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हुए भीषण हमले के दोषी अफजल गुरु को नौ फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी की सजा दी गई थी और वहीं दफन भी कर दिया गया था। इस हमले में सुरक्षा बल के कई जवान शहीद हो गए थे।