सबगुरु न्यूज। सूर्य देव पिछले एक महीने से तुला राशि में चल रहे थे। 16 नवंबर को दिन में 11 बजकर 48 मिनट पर अपने मित्र ग्रह की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। अगले एक महीने सूर्य इस राशि में रहकर राजनीति, देश और मानव जीवन को प्रभावित करेंगे।
शनिवार के दिन यह संक्रांति होने के कारण यह राक्षसी संक्रांति है। अपने नाम के अनुसार यह संक्रांति चोर, पापकर्म करने वालों एवं दुष्टों के लिए अनुकूल है। इसलिए इस अगले एक महीने लोगों को अधिक सजग और सतर्क रहना होगा।
बाजार की बात करें तो रसदार पदार्थ, दूध, तेल, घी, तिल, चावल, चना एवं मक्की कीमत में वृद्घि हो सकती है। हालांकि आंकड़ों में महंगाई दर में कमी दिखेगी।
वृश्चिक में सूर्य के पहुंचने से राहु, शनि एवं बुध से द्विद्वादश एवं केतु से सूर्य का षडाष्टक संबंध बनेगा जो बीते महीने की अपेक्षा कुछ मामलों में अनुकूल रहेगा।
कानून व्यवस्था की स्थिति संभलेगी। किसी बड़ी आपराधिक साजिश का पर्दाफाश हो सकता है। राजनीति में जनता का प्रभाव बढ़ेगा। आपराधिक छवि वाले एवं भष्ट नेताओं का जनता बहिष्कार करेगी।
राशि की बात करें तो वृश्चिक, मीन, मकर और वृष राशि वालों को सूर्य अनुकूल परिणाम देंगे। इनका आत्मबल बढ़ेगा। नौकरी एवं व्यापार में लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। सम्मान एवं अधिकारियों से सहयोग मिलेगा।
वृश्चिक संक्रांति का महत्व
संक्रांति के दिन दान-पुण्य करना का बेहद खास महत्व माना जाता है। इसलिए बहुत से लोग इस दिन भी वस्तुएं और खान पान की चीजें गरीबों में दान करते है। वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, विष्णु और दान का खास महत्व होता है। इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण का भी खास महत्व होता है।
वृश्चिक संक्रांति के दिन की 16 घटियों को बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है। यह दान संक्रांति काल में करना अच्छा माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार वृश्चिक संक्रांति में ब्राह्मण को गाय दान करने का खास महत्व होता है।
वृश्चिक संक्रांति का फल
सूर्य के वृश्चिक संक्रांति राशि में आने से गलत काम बढ़ सकते हैं। यानी चोर और भ्रष्टाचारी लोग बढऩे की संभावना है। वस्तुओं की लागत बढ़ सकती है। मंगल की राशि में सूर्य के आ जाने से 16 दिसंबर तक कई लोगों के लिए कष्टपूर्ण समय हो सकता है। कई लोग खांसी और ठण्ड से पीडि़त हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सूर्य का अशुभ असर देखने को मिलेगा। राष्ट्रों के बीच संघर्ष बढ़ सकता है। आसपास के देशों से भारत के संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं।
वृश्चिक संक्रांति पर पूजन विधि
सूर्योदय से पहले उठकर सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।
पानी में लाल चंदन मिलाकर तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके साथ ही रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
लाल दीपक जलाना चाहिए, यानी घी में लाल चंदन मिलाकर दीपक लगाएं। सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं।
गुग्गल की धूप करें, रोली, केसर, सिंदूर आदि चढ़ाना चाहिए।
गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं और लाल चंदन की माला से ओम दिनकराय नम: मंत्र का जाप करें।
पूजन के बाद नैवेद्य लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में बांट दें।