नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध के बीच भारत और अमेरिका ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और अधिक बढाने के लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन (बेका) पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके तहत अमेरिका भारत के साथ संवेदनशील उपग्रह डाटा साझा करेगा।
दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच मंगलवार को यहां तीसरे मंत्री स्तरीय टू प्लस टू संवाद के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।
समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो तथा रक्षा मंत्री मार्क एस्पर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर माैजूद थे।
पोम्पियो ने कहा अमेरिका और भारत न केवल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी, बल्कि हर तरह के खतरों से निपटने के लिए परस्पर सहयोग को मजबूत करने के लिये कदम उठा रहे हैं। पिछले साल हमने साइबर मुद्दों पर सहयोग का विस्तार किया और हमारी नौसेनाओं ने हिंद महासागर में संयुक्त अभ्यास किया है। हम इस बात से सहमत हैं कि अमेरिका और भारत की व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी दोनों देशों के साथ-साथ हिन्द प्रशांत क्षेत्र तथा वैश्विक सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
दोनों देशों के बीच पिछले करीब दो दशकों में बेका चौथा रक्षा सहयोग समझौता है। इस समझौते के तहत भारत को अमेरिकी उपग्रहों से सटीक आंकड़े और फोटो मिलना शुरू हो जायेंगे। दोनों देश मानचित्रों , नॉटिकल और एरोनॉटिकल चार्टों , जियो फिजिकल और जियो मेगनेटिक आंकड़ों का आदान प्रदान कर सकेंगे। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारत सैन्य लक्ष्यों पर एकदम सटीक निशाना लगा सकेगा।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले पांच महीने से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के मद्देनजर इस समझौते को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे नौसेना को भी हिन्द महासागर में चीनी नौसेना की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने में मदद मिलेगी।
एस्पर ने कहा , हमारे साझा मूल्यों और साझा हितों के आधार पर हम मुक्त हिन्द प्रशांत क्षेत्र और चीन की बढती हमलावर तथा अस्थिर करने वाली गतिविधियों के मद्देनजर कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
दोनों देशों के बीच यह तीसरा टू प्लस टू संवाद है और इससे पहले के दो संवाद वर्ष 2018 तथा 2019 में हो चुके हैं।