नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने से पहले की प्रणालियों में पंजीकृत ऐसे करदाता जिन्होंने अपना जीएसटी पंजीकरण पूरा नहीं किया है, उन्हें एक और मौका देते हुए जीएसटी परिषद् ने माइग्रेशन के लिए 31 अगस्त तक का समय दिया है।
परिषद् की शनिवार को हुई 28वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि जीएसटी में माइग्रेशन के लिए करदाताओं को 31 अगस्त तक का एक और मौका दिया जा रहा है। साथ ही ऐसे मामलों में रिटर्न पर विलंब शुल्क भी माफ करने का फैसला किया गया है।
वित्त मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि जिन करदाताओं ने पंजीकरण का पार्ट ए पूरा कर लिया था और उन्हें अस्थायी आईडी भी मिल गई थी, वे इसका लाभ उठा सकेंगे। वे अपने कर क्षेत्र के केंद्र या राज्य के नोडल कर अधिकारी के पास जाकर 31 अगस्त से पहले अपने दस्तावेज जमा करा सकते हैं। नोडल अधिकारी जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) के पास उन करदाताओं का पंजीकरण पूरा करने के लिए नाम भेजेगा।
इन करदाताओं को पहले विलंब शुल्क के लिए रिटर्न भरना होगा। इसके बाद वे विलंब शुल्क वापस पाने के लिए इस राशि को कर में दिखा सकेंगे।
पांच करोड़ तक टर्नओवर वाले भर सकेंगे तिमाही रिटर्न
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद् ने करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए फैसला किया कि सालाना पांच करोड़ तक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को मासिक की जगह तिमाही रिटर्न भरना होगा। हालांकि इस व्यवस्था को लागू होने में अभी समय लगेगा।
गोयल ने बताया कि अब सालाना पांच करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को भी तिमाही रिटर्न भरना होगा। हालांकि, उन्हें कर हर महीने जमा कराना होगा जो वे एक चालान द्वारा कर सकेंगे।
अब तक सिर्फ 1.5 करोड़ रुपए का कारोबार करने वालों को ही तिमाही रिटर्न भरने की सुविधा थी। अन्य करदाताओं को मासिक रिटर्न भरना होता था। आज के फैसले के बाद अब 93 प्रतिशत करदाता तिमाही रिटर्न वाली श्रेणी में आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस फैसले को लागू करने में अभी समय लगेगा।
गोयल ने बताया कि जल्द ही ‘सुगम’ और ‘सहज’ नाम से दो प्रकार के नए रिटर्न फॉर्म जारी किये जायेंगे। इनमें एक कंपोजिशन स्कीम के लिए और एक बड़े कारोबारियों के लिए होगा। अन्य महत्वपूर्ण फैसलों में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म को 30 सितम्बर 2019 तक के लिए टाल दिया गया है।
कंपोजिशन स्कीम के तहत आने वाले व्यापारी अब अपने टर्नओवर का 10 प्रतिशत या पाँच लाख रुपए, जो भी अधिक हो तक की सेवाएं (रेस्त्रां को छोड़कर) भी दे सकेंगे।
पर्वतीय तथा पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए 20 लाख रुपए तक का सालाना कारोबार करने वालों को जीएसटी में पंजीकरण से छूट दी गई है। पहले यह सीमा 10 लाख रुपए थी। जिनका व्यापार एक ही राज्य में कई स्थानों पर है उन्हें एक से अधिक पंजीकरण कराने की भी अब सुविधा दी गई है, हालाँकि कारोबार के आकार की गणना सभी इकाइयों को मिलाकर की जाएगी।
गोयल ने बताया कि कंपोजिट स्कीम की सीमा एक करोड़ रुपए से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपए करने के लिए जल्द ही जीएसटी कानून में संशोधन किया जाएगा। ई-कॉमर्स कंपनियों को भी राहत दी गई है। जो ई-कॉमर्स कंपनियों स्रोत पर कर नहीं वसूलतीं उन्हें जीएसटी में पंजीकरण कराना जरूरी नहीं होगा। सेवा क्षेत्र की ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए यह सुविधा पहले से थी।