अजमेर। सिन्धी साहित्य में श्रृंगार रस विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी के पहले दिन भाषा विद्वानों ने सिन्धी साहित्य के अदभुत स्वरूप के पक्ष को गंभीरता से रखा। देर शाम संगीत की महफिल में सिन्धी गीतों और संवादों का सुधि श्रोताओं ने आनंद लिया।
राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद नई दिल्ली के सौजन्य से शनिवार को होटल पंचशील प्लाजा में सुबह 11 बजे मुख्यवक्ता एवं शिक्षाविद् हनुमान सिंह राठौड, मुख्य अतिथि विधायक वासुदेव देवनानी तथा राजस्थान सिन्धी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष भगवान अटलाणी, साहित्यकार दिनेश सिंदल ने दीप प्रज्वलन कर संगोष्ठी का उदघाटन किया। सतगुरु आरकेड के निदेशक राजा ठारवानी ने अध्यक्षता की।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राठौड ने कहा के वर्तमान साहित्य में तात्कालिक सोच वाली रचनाएं सामने आ रही हैं, इनमें श्रृंगार का एक घिनौना स्वरूप दिखता है, जबकि श्रृंगार या सौंदर्य केवल काम अथवा काम भावनाओं को उभारने वाली वस्तु नहीं है। हमें हमारे वैदिक साहित्य में नौ रस मिलते हैं, उनका भी समावेश हमें साहित्य में करना चाहिए। हमारे वैदिक साहित्य में श्रृंगार को बखूबी व्यक्त किया गया हैै।
दिनेश जिंदल ने अपने गीतों के द्वारा सौंदर्य रस का परिचय कराया। भगवान अटलाणी ने सिंधी साहित्य के विभिन्न आयामों पर होने वाली चर्चाओं पर विस्तार से अपनी बात कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि सिंधी साहित्य ने अश्लीलता कभी भी नहीं परोसी। इसमें वात्सल्य, प्रेम एवं सूर्य आराधना भी समाविष्ट होती है। इनका अदभुत स्वरूप दो दिवसीय संगोष्ठी में देखने को मिलेगा।
प्रथम सत्र सिंधी साहित्य में कविता कथा पर केन्द्रीत रहा जिसमें किशन रत्नानी ने पत्र वाचन किया। सत्र की अध्यक्षता अजमेर के प्रख्यात साहित्यकार ढोलन राही ने की। मुंबई के राधा कृष्ण भाटिया एवं जयपुर के हरीश करमचंदानी ने अपनी टिप्पणी प्रस्तुत सत्र का संचालन किया।
दूसरा सत्र सिंधी नाटक को समर्पित था जिसमें आदिपुर कच्छ के महेश खिलनाणी और जितेन्द्र थधाणी ने पत्र प्रस्तुत किया। जयपुर के सुरेश सिंधू एवं बीकानेर के सुरेश हिंदुस्तानी बीकानेर ने टिप्पणी दी। सत्र का संचालन अजमेर के ललित शिवनाणी ने किया।
तीसरा सत्र हिंदी बाल साहित्य को समर्पित था जिसमें पत्र डॉ रोशन गोलाणी द्वारा प्रस्तुत किया गया। अध्यक्षता अहमदाबाद के डॉक्टर जेठो लालवाणी ने की। ग्वालियर के गुलाब लुधाणी और मीना आसवाणी ने टिप्पणी की प्रस्तुति दी।
सिंधी निबंध को समर्पित सत्र में पत्र वाचन अजमेर की डॉक्टर सविता खुराना ने किया। अध्यक्षता डॉक्टर कमला गोकलानी ने की। पत्र वाचन पर टिप्पणी परमेश्वरी पमनाणी ने की। भूमिका गोविंदानी द्वारा सत्र का संचालन किया गया।
रात्रि में संगीत की महफिल में प्रख्यात गायक मोहन सागर में उपस्थित श्रोताओं को गजल और गीतों को रसास्वाद करवाया। इसमें बडी संख्या में संगीतप्रेमी मौजूद रहे।
सिंधी भाषा सम्मेलन 29 और 30 दिसम्बर को उदयपुर में
राष्ट्रीय सिंधी भाषा परिषद तथा भारतीय सिंधु सभा के सहयोग से आगामी 29 व 30 दिसंबर को दो दिवसीय राज्य स्तरीय सेमिनार उदयपुर में आयोजित होगा। प्रदेश महामंत्री महेंद्र कुमार तिर्थानी ने बताया कि संत कंवरराम पर आधारित सेमिनार का उद्घाटन राष्ट्रीय सिंधी भाषा परिषद के उपाध्यक्ष घनश्याम कुकरेजा करेंगे तथा राजस्थान सिंधी अकादमी के अध्यक्ष हरीश राजाणी व कैलाश चंद शर्मा बतौर अतिथि शिरकत करेंगे।
पत्रवाचन अजमेर की डॉक्टर परमेश्वरी पमनाणी विभागाध्यक्ष सिंधी सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय अजमेर करेंगी। सेमिनार में अजमेर के अलावा ब्यावर, नसीराबाद, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़ सहित विभिन्न तहसीलों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
सेमिनार के दूसरे दिन संत कंवरराम के साहित्यिक लेखन व पुरस्कार सत्र में डॉ. मनोहर लाल कालरा, पूर्व कुलपति कोटा विश्वविद्यालय तथा उदयपुर के समाजसेवी झूलेलाल सेवा समिति के अध्यक्ष व पत्रवाचन आगरा के लेखक व साहित्यकार घनश्यामदास जेसवानी करेंगे।