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राष्ट्रीय सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन सम्मान ‘सुधार सभा’ को
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राष्ट्रीय सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन सम्मान ‘सुधार सभा’ को

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राष्ट्रीय सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन सम्मान ‘सुधार सभा’ को
sindhupati maharaj dahir sen samman samaroh 2018 ajmer
sindhupati maharaj dahir sen samman samaroh 2018 ajmer

अजमेर। छठा राष्ट्रीय सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन सम्मान 2018 ‘सुधार सभा अजमेर’ को प्रदान किया गया। सम्मान में 51 हजार रूपए के साथ स्मृति चिन्ह, शॉल और श्रीफल दिए गए।

सुधार सभा के पदाधिकारिों ईश्वर ठाराणी, प्रभू ठाराणी, ओमप्रकाश केवलरामाणी और महेश्वरी गोस्वामी को महाराजा दाहरसेन सर्किल से बैण्ड बाजों के साथ बग्घी में बैठाकर जुलूस के रूप में स्मारक तक लाया गया। इस अवसर पर सम्मानित संस्था का हरिभाउ उपाध्याय नगर विस्तार समिति की ओर से स्वागत किया गया।

इस मौके पर लगभग 30 हजार वर्गगज क्षेत्र में बने स्मारक पर सिन्धूपति महाराजा दाहरसेन विकास एवं समारोह समिति और भारतीय सिन्धु सभा की ओर से समारोह आयोजित किया गया।मुख्य अतिथि लोकायुक्त न्यायाधीश सज्जन सिंह कोठारी और विशिष्ट अतिथि स्वामी हिरदाराम साहेब के शिष्य महन्त हनुमानराम, निर्मलधाम के स्वामी आत्मदास, श्रीराम दरबार की दादी मोहिनी देवी, जतोई दरबार के भाई फतनदास का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रौन्नति प्राधिकरण अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, पंचायती एवं शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल, नगर निगम महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने उद्बोधन दिया।

मुख्य अतिथि कोठारी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि महाराजा दाहरसेन ने अपने राष्ट्र रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान दिया। ऐसे राष्ट्रभक्त को मैं प्रणाम करता हूं और यह स्मारक सिन्धु संस्कृति व सभ्यता को जोडने का एक केन्द्र बन चुका है। हमें नई पीढी को जोडकर अपनी सभ्यता और संस्कृति के बारे में जानकारी देनी चाहिए। उन्होनें ओंकार सिंह लखावत के कार्यकाल में किए अभूतपूर्व कार्य की भी तारीफ की।

प्रौन्नति प्राधिकरण अध्यक्ष ओकारसिंह लखावत ने कहा कि अरबों के द्वारा विदेशी हमला सिंध पर 712 में हुआ था, सिंध पर किए गए हमलों का सशक्त विरोध करते हुए शहीद होने वाले सिंध के राजा दाहरसेन के 1306वें बलिदान वर्ष के उपलक्ष में हरिभाउ उपाध्याय नगर स्थित सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक आज उन्हें श्रृद्धा और उल्लास के साथ श्रृद्धासुमन अर्पित किए गए। विदेशी हमले से महाराजा दाहरसेन के साथ उनकी रानी लाडी बाई, राजकुमारी परमाल और सूर्य कुमारी ने भी युद्ध में विदेशी हमलावरों का सामना किया था।

इस अवसर पर कलाकारों, विद्यालयों की छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति पर आधारित रंगारंग कार्यक्रम और काव्य गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में हिंगलाज माता की पूजा अर्चना, महाराजा दाहरसेन को श्रृद्धासुमन अर्पित किए गए। रंग भरो प्रतियोगितो, रंगरंगीलों कूडादान चित्रांकन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम हिंगलाज माता के मन्दिर पर घनश्याम भगत एण्ड पार्टी एवं स्वामी सर्वानन्द विद्यालय की छात्राओं द्वारा देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति और अलग अलग मन्दिरों पर धर्मध्वजा फहराई गई। गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन की सवा छह फुट ऊंची मूर्ति का अनावरण किया गया।

शहीद नेणूराम शर्मा के चित्र को संग्राहलय में स्थापित किया गया साथ ही देशभर से आए साहित्यकारों हेमन्त शर्मा, सीकर, नवनीत अलवरी, अलवर, भरतपुर के देवेन्द्र, भानसिंह, अजमेर के गोविन्द भारद्वाज और नागौर के डॉ. दिलीप पारीक ने वीररस का काव्यपाठ किया।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण उपमहापौर सम्पत सांखला आभार कंवलप्रकाश किशनानी ने दिया। मंच संचालन महेन्द्र कुमार तीर्थाणी और महेश टेकचंदाणी ने किया। पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन, सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी, डॉ. बद्री प्रसाद पंचोली, प्रो. एन.के. उपाध्याय, पूर्व सांसद रासासिंह रावत, पूर्व विधायक हरीश झामनाणी मौजूद रहे।