आबूरोड (सिरोही)। आदिवासी बाहुल्य भाखर क्षेत्र के 24 गांवों में अब हैंडपंपों का जलस्तर रसातल तक गहरा गया है। भौगोलिक विशेषताओं के तहत यहां जलस्तर बरसात के समय जल्दी ऊपर उफान लेता है, वहीं गर्मी के अप्रैल-मई में रसातल में चला जाता है। इन दिनों क्षेत्र में अधिकांश पेयजल के स्रोत हेडपंपों से कहीं एक मटका तो कहीं दो मटका पानी ही मुश्किल से मिल पाता है।
सार्वजनिक स्थानों पर गहराई पेयजल किल्लत
भाखर क्षेत्र के जायदरा उप स्वास्थ्य केंद्र, एवं उचित मूल्य विक्रेता की दुकान के पास, निचला टांकिया, उप स्वास्थ्य केंद्र, दोयतरा, बोरीबुज, पाबा, दानबोर चौराहा, रणोरा, भमरिया, बूंजा, बोसा, जांबूडी, मीण, राडा, उपलागढ़, निचली बोर, निचलागढ़ उपलाखेजड़ा, निचलाखेजड़ा, ऊपलीबोर के विभिन्न चौराहों, स्वास्थ्य केंद्रों, उचित मूल्य दुकानों के बाहर वाहनों की प्रतीक्षा करते यात्रियों, यात्रियों, तथा सवारियों को अपनी प्यास बुझाने के लिए खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। आसपास के हेडपंपों का पानी रसातल में चले जाने से लगातार हिलाने के बावजूद पानी की धारा प्यासो के कंठ नहीं तर कर पाती।
असहाय बेजूबानों की बढ़ी लाचारी
अधिकतर इन गांवों में गाय, बैल, बकरी, भैंस, के मवेशी पशुपालक है, मजदूरी के बाद खेती के लिए बेल एवं दूध के लिए बकरी गाय भैंस यहां का प्रमुख पशुधन है। लेकिन इन दिनों हर गर्मी की ऋतु की तरह इस बार भी पशुओं के लिए पानी सुलभ कराना यहां के पशुपालकों के लिए कठिन परीक्षा बना हुआ है।
प्रथम चरण में चयनित नहीं जल जीवन मिशन की ये पंचायत
ग्राम पंचायत जायदरा, दोय तरा, पाबा, उपलाखेजड़ा, निचलागढ़, उपलागढ़, जांबूूडी ग्राम पंचायत एवं उनके राजस्व गांवों को जल जीवन मिशन के प्रथम चरण की सूची से बाहर रखा गया है।