सबगुरु न्यूज-सिरोही। इस बार का दशहरा भी सिरोही के लिए विशेष रहा। रामायण के पुरुष और महिला पात्रों की उपमा नेताओं को देकर यहां का दशहरा कई बार विशिष्टता लिए हुए रहा। इस बार भी नेताओं के मंच से विशिष्टता दिखाने वाले रावण(कुरीति) का संहार किया गया।
जनता को मंच से बोर करके मंचासीन अतिथियों द्वारा अपनी गैस निकालने और माला व साफा पहनकर लोगों को झेलाने की परम्परा गायब रही। पांच से छह मिनट में जहां अतिथियों को भाषण खतम हो गया तो माला और साफा भी आधा दर्जन लोगों को पहनाई गई।
हर बार नेता मंच पर चढक़र बच्चों और बुजुर्गों को इतना पका देते थे कि रावण के पुतलों से ज्यादा उन्हें मंच पर गैस निकालते नेता बेशर्मी के रावण का प्रतीक नजर आते। पिछली बार के कार्यक्रम में ही इतना झेलाया कि लोग रावण से ज्यादा मंचासीन ेनेताओं को कोसते दिखे।
-बोर्ड वही, पर मंच पर बदल गया दल-बल
अभी नगर परिषद में बोर्ड भंग नहीं हुआ। पांच साल पहले चुना हुआ बोर्ड ही है। कार्यकाल समाप्ति से पहले ही निलम्बन के कारण मंच परसभापति ताराराम माली नहीं थे। उनकी जगह उनके पद पर आसीन धनपतसिंह राठौड़ उपस्थित थे। मंच पर पिछले चार साल से भाजपा के पदाधिकारी ही जनता के पैसे पर खुदका माला और साफा से श्रंगार करवाते नजर आते दिखते थे, इस बार जनता के पैसे की माला और साफे में बर्बादी नहीं हुई।
राज्य में सत्ता में दल बदल गया, लेकिन मंच पर कांग्रेस नजर नहीं आई। एक तरह से इस मंच पर भी निर्दलीय का बल ही दिखाई दिया, भाजपा शासनकाल की तरह हर नेता को मुंह उठाए मंच की मर्यादा को भंग करने का मौका नहीं दिया गया। जिसकी परिणीति स्वरूप जनता उबाउ भाषणों से बच सकी। वैसे दो साल पहले दशहरे से पूर्व ही आए कार्मिक विभाग के आदेशानुसार किसी भी अधिकारी को मंच से माला साफा पहनने की मनाही तो अब भी बरकरार है, लेकिन अधिकारियों की गुड बुक में आने के यह कुरीति यहां भी नहीं टूटी।
इस बार वीआईपी सम्मान के साथ संभवत: अंतिम रावण दहन देखने वाले पार्षदों को भी विदाई की मालाएं पहनने को नहीं मिली। इस बार मुख्य अतिथि स्थानीय निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, अध्यक्ष जिला कलक्टर सुरेन्द्रसिंह सोलंकी और विशिष्ट अतिथि पुलिस अधीक्षक थे।
-सारे पटाखे आतिशाबाजी में ही रावण की आह भी नहीं
पुतलों के दो महीने में धराशायी होना उसी तरह खबर नहीं रह गई जिस तरह नेताओं के उबाउ भाषणों से सार्वजनिक मेलों में लोगों को बोर करने की। वैसे इस बार आतिशाबाजी लम्बी चली, लेकिन रावण कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले में पटाखे कम दिखे। यह बात मौके पर ही आयुक्त नगर पालिका कर्मी को भी कहते सुनाई दिए।रावण के दुबले हो जाने की चर्चा दर्शकों में रही। कुछ इसे मंदी की मार बताते दिखे तो कुछ कुपोषण की।