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Sirohi Cctv camera scam: Proceding of Muncipality stayed by High court - Sabguru News
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सीसीटीवी घोटाला: हाईकोर्ट ने स्टे की नगर परिषद की प्रोसिडिंग

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सीसीटीवी घोटाला: हाईकोर्ट ने स्टे की नगर परिषद की प्रोसिडिंग
सिरोही में पांच साल पहले लगे सीसीटीवी कैमरे जिनका सिरोही की सुरक्षा के लिए उपयोग भी नहीं किए जा सके।
सिरोही में पांच साल पहले लगे सीसीटीवी कैमरे जिनका सिरोही की सुरक्षा के लिए उपयोग भी नहीं किए जा सके।
सिरोही में पांच साल पहले लगे सीसीटीवी कैमरे जिनका सिरोही की सुरक्षा के लिए उपयोग भी नहीं किए जा सके।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला मुख्यालय का बहुचर्चित सीसीटीवी घोटाले की नगर परिषद द्वारा अभियोजन स्वीकृति की प्रोसिडिंग को राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्टे कर दिया है।

ऐसे में स्टे वेकेट होने तक इस प्रोसिडिंग में संबंधित कार्मिक पर अभियोजन स्वीकृति और आगे की कार्रवाई नहीं हो सकेगी।

-यह है मामला

पांच साल पहले कांग्रेस के बोर्ड के समय सिरोही शहर में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के शहर को सुरक्षित बनाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के पत्र को आधार बनाते हुए तत्कालीन सभापति और आयुक्त ने शहर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए। इस प्रकरण में हर स्तर पर अनियमितता बरतने का आरोप लगा।

इसका प्रकरण एंटी करप्शन में दर्ज हुआ। डीएलबी ने भी इसकी जांच की। एसीबी में इस प्रकरण में अनियमितता मिलने के बाद इसमें लिप्त पाए गए कार्मिकों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के लिए लिखा गया। इसमें तीन कार्मिक ऐसे थे जो आज भी नौकरी पर हैं।

तत्कालीन आयुक्त के रिटायर होने, सभापति के पद से हट जाने और ठेकेदार के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है। जिस कार्मिक की अभियोजन स्वीकृति नगर परिषद को करनी थी, उसकी स्वीकृति नगर परिषद की साधारण बैठक में कर दी गई, वहीं जिन अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति डीएलबी से होनी थी वो अभी पेंडिंग हैं।

-यूं लगी अभियोजन स्वीकृति की प्रोसिडिंग पर रोक

नगर परिषद सिरोही से अभियोजन स्वीकृति पर रोक लगाने के लिए संबंधित कार्मिक ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौति दी। जानकारी के अनुसार इसके लिए दो आधार दिए गए। एक आधार इस बात का दिया गया कि नगर परिषद के पार्षदों की सहमति नहीं थी।

इसके लिए संबंधित कार्मिक ने उस कागज को प्रस्तुत किया, जिसमें नगर परिषद की बैठक से पहले ही 14 पार्षदों (भाजपा के कई पार्षद भी शामिल थे) से यह हस्ताक्षर करवाए गए कि वह संबंधित कार्मिक के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं देते हैं। जबकि बैठक में उपस्थित कोरम में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ।

दूसरा मुदï्दा सभापति को द्वारा जारी एक पत्र को बनाया गया। एक व्यक्ति ने 15 फरवरी को सभापति को पत्र जारी करके अभियोजन स्वीकृति की बैठक की प्रोसिडिंग जिस रजिस्टर में लिखी है, उसकी प्रतिलिपि मांगी। सभापति द्वारा 18 फरवरी को इस मूल आवेदन पर ही यह लिखकर दिया गया कि प्रोसिडिंग लिखी नहीं गई है, इसलिए उपलब्ध नहीं हो सकती।

इन दो मुद्दों को आधार बनाते हुए शेष दलीलों के साथ इस प्रोसिडिंग को रोकने की अपील की गई। स्थिति यह रही कि जब यह वाद हाईकोर्ट में दायर किया गया, उसका नोटिस भी नगर परिषद में नहीं पहुंचा। वो तो भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भी इस प्रकरण में पार्टी बनाए जाने पर उनके अधिवक्ता द्वारा नगर परिषद से संपर्क किया गया। तब पता चला कि ऐसा कोई वाद दायर किया गया।

इनका कहना है..

नगर परिषद की प्रोसिडिंग को स्टे किया गया है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद रखी गई है। इसके लिए बिफोर हियरिंग के लिए प्रयास करवा रहे हैं, ताकि जल्दी सुनवाई करवाकर स्टे को वेकेट करवाय जा सके।
शिवपालसिंह
आयुक्त, नगर परिषद सिरोही।

इस प्रकरण में हमें भी हाईकोर्ट में पार्टी बनाया गया है। इसका जवाब दावा तैयार किया जा रहा है। एक व्यक्ति की अभियोजन स्वीकृति हो गई है, चालान पेश करने के लिए शेष लोगों की अभियोजना स्वीकृति की प्रोसिडिंग चल रही है।
जितेन्द्रसिंह मेडतिया
प्रभारी अधिकारी, एसीबी, सिरोही।