सिरोही। सिरोही में दशकों बाद कांग्रेस का बोर्ड बना। अभूतपूर्व बहुमत के साथ। कांग्रेस के नए सभापति महेंद्र मेवाड़ा ने सिरोही विधायक संयम लोढ़ा की उपस्थिति में पदभार ग्रहण किया।
पदभार ग्रहण समारोह में संयम लोढ़ा ने तीन साल पहले सिरोही नगर परिषद में जो दावा किया वो 3 साल होने पर भी लागू नहीं करवा पाए। इसका कारण वही है जिसका आरोप वो विपक्ष में रहते हुए भाजपा पर लगाते रहे। और वो कारण है ‘मोनिटरिंग का अभाव’।
जिस कदर पिछले बोर्ड से बढ़कर अनियमितता और जन उत्पीड़न यहां हो रहा है उसे देखकर स्पष्ट कहा जा सकता है कि वो स्वयं सिरोही नगर परिषद की कार्यप्रणाली की मॉनिटरिंग कर नहीं रहे हैं। और पार्षदों व शहर कांग्रेस के कार्यकर्ता या तो उन्हें बता नहीं रहे हैं या वो उनकी सुन नहीं रहे हैं।
ये कहा था भाषण में
सभापति 2 दिसम्बर 2019 को जब कार्यभार ग्रहण किया तब विधायक संयम लोढ़ा ने कहा था कि एक टेलीफोन नम्बर रखिये जनता की समस्या के लिए। जिस पर 8-8 घण्टे तीन आदमी रखिये। यहां पर 24 घन्टे टेलीफोन हेल्पलाइन काम कर सके। जिससे सफाई, आवारा पशु और बिजली की समस्या का तुरन्त निस्तारण हो सके। उन्होंने कहा था कि वो सेंट पॉल के पास बैठने गए तो वहाँ घुप अंधेरा था। उन्होंने ऑथोरिटी को फोन किया तो उन्होंने बताया कि अभी किसी कारण से हुआ हैं। कई गलियों में अंधेरा था।
उन्होंने कहा था कि फिर वो यहाँ आ गए, अहिंसा सर्किल और झूपा घाट यहां भी घुप अंधेरा। तो ये स्थिति है। उन्होंने आगे कहा था कि नगर परिषद के कर्मचारियों से अनुरोध करते हैं कि आपको अपना काम करना है। अभी भी इस तरह की चीजें सामने आईं तो हमे दोष मत देना। विधायक लोढ़ा बोले थे कि स्नेह बहुत है लेकिन काम के मामले में कोई चूक नहीं हो।
वह दिन है और आज का दिन है सिरोही विधायक नगर परिषद के कर्मचारियों के प्रति स्नेह से नहीं उबर पा रहे हैं और सिरोही की जनता सफाई, आवारा पशु, रोड लाइट को लेकर उससे भी ज्यादा नारकीय पीड़ा झेल रही है जो 2 दिसम्बर 2019 से पहले झेल रही थी।
नए आयुक्त ने ये किया जनसुनवाई का हाल
नगर परिषद कार्मिकों के प्रति सिरोही विधायक के स्नेह की स्थिति उनके भाषणों में किए दावों से ही कड़ी दर कड़ी सिरोही नगर परिषद का ढर्रा सुधरने तक लाया जाएगा। लेकिन, अभी बात 2 दिसम्बर के भाषण के 24 घण्टे हेल्पलाइन की।
विधायक तो दावा कर रहे थे कि नगर परिषद कर्मचारी अपना ढर्रा सुधार लें लेकिन, उनके द्वारा लगाए गए कार्यवाहक आयुक्त क्या कर रहे हैं इसकी गवाही आयुक्त के चेम्बर की दीवार दे रही है। शायद 31 अगस्त को पूर्व कर्यवाहक आयुक्त रिटायर हुए। नए वाले उसके अगले दिन बैठे। जैसे कि पहले ही जिक्र किया कि इनकी ठनक किसी कलेक्टर से कम नहीं है तो वही कुर्सी संभालते ही किया।
कलेक्टर से दो कदम आगे निकल गए। विधायक संयम लोढ़ा के 24 घण्टे टेलीफोनिक हेल्पलाइन के तो दावे की पालना तो दूर उन्ही के द्वारा बैठाए आयुक्त को ड्यूटी टाइम पर मोबाइल उठाने से भी परहेज है। छुट्टी के दिन मोबाइल स्विच ऑफ रहे सो अलग।
जॉइन करते ही अपने चेम्बर की दीवार पर लिखे पूर्व आयुक्त का नाम पुतवाया और फिर से अपना नाम लिखवाया। लेकिन नाम पट्टिका के नीचे पुताई में दब गया ‘जनसुनवाई का 2 से 4 बजे’ तक के समय की सूचना फिर नहीं लिखवाई। तो मतलब ये कि जनता की सुनवाई यहां बन्द है। व्यवहार से भी और प्रशासनिक कदाचार से भी।
कलेक्टर के चेम्बर के बाहर भी कलेक्टर के नाम बदल लेकिन, जनसुनवाई के समय की सूचना आज भी वैसी ही लिखी हुई है। दरवाजे पर कार्मिक लगाकर आम आदमी के सीधे आयुक्त से मिलने पर जॉइनिंग के पहले दिन से ही पाबन्दी है। पहले काम बताओ, फिर साहेब की मर्जी होगी तो मिलेंगे वरना दरवाजे के बाहर से ही जय श्री कृष्णा। नगर परिषद के ऐसे कार्मिकों पर विधायक का स्नेह तीसरे साल भी बरकरार है तो फिर जन सुनवाई हो या न हो इसका फर्क सिरोही शहर के लोगों को पड़े आयुक्त को क्या फर्क?
गलती सिरोही के लोगों की है कि विधायक के सिरोही नगर परिषद में गुड गवर्नेंस देने के वादों पर विश्वास करके व्यवस्था परिवर्तन के लिए कुर्सी पर बैठा व्यक्ति बदल दिया। उन्हें क्या पता था कि नगर परिषद में सभापति का चेहरा बदलने से व्यवस्था नहीं बदलती, व्यवस्था बदलती है ईमानदारी और दृढ़ इच्छा शक्ति से। जो तीन साल में तो सिरोही नगर परिषद से नदारद है। व्यवस्था बदले या नहीं बदले अगले दो साल और गुड गवर्नेंस के वायदे से ठगाए सिरोही के आम मतदाता इस अकर्मण्य बोर्ड, निष्क्रिय सभापति और किंकर्तव्यविमूढ़ आयुक्तों का कुछ नहीं बिगाड़ सकता।