सबगुरु न्यूज-सिरोही। जगह वही और पुतला वही। लोग अलग, फिर भी सिरोही सभापति के मोहल्ले वाले, पार्टी वाले और रिष्तेदार इस बार सभापति ताराराम माली का पुतला जलने से नहीं रोक पाए। हां, प्रकृति ने कोशीश की और बारिश में पुतले को भिगोया, लेकिन सफाईकार्मिकों ने पुतला दहन कर ही दिया।
डेढ साल पहले इसी अक्टूबर 2016 को जब कांग्रेस ने सिरोही सभापति का पुतला दहन करने के लिए पुतला यहां उतारा था तो भाजपा के नेता पुतला छीनकर भाग गए थे। तब भी पुतले में आग लगा दी गई थी।
इस बार भी भाजपा के सभी नेता उसी पद पर हैं, लेकिन सभापति का पुतला दहन रोकने के लिए कोई नगर परिषद के बाहर नहीं पहुंचा और सिरोही नगर परिषद के सफाई कार्मिकों और वाल्मिकी समाज के लोगों ने उनका पुतला फूंक दिया।
इस बार चुनाव सिर पर आने के कारण अपने-अपने जुगाड़ में व्यस्त सभी भाजपाई सभापति का पुतला दहन रोकने के प्रयासों में सक्रियता नहीं दिखा सके। भाजपाइयों के बचाने के लिए नहीं पहुंचाने पर
यह है मांग
सिरोही नगर परिषद में हाल ही में राज्य स्तरीय सफाई कार्मिकों की भर्ती के तहत 49 सफाई कार्मिकों की नियुक्ति हुई। इनमें 10 ओबीसी और 6 एसटी वर्ग के हैं।
सिरोही के सफाईकर्मियों और वाल्मिकी समाज के लोगों का आरोप है कि नगर परिषद ने इन लोगों को सफाई के कार्य में लगाने की बजाय बागवानी व अन्य कार्यालयी कार्यों में लगा दिया है।
इन लोगों ने सभी कार्यालय कार्यों में लगे सभी नवनियुक्त सफाईकार्मिकों को सफाई कार्य में लगाने की मांग की।
निकाली ट्रॉली यात्रा
वाल्मिकी समाज के लोगों ने विरोध स्वरूप वाल्मिकी समाज के लोगों ने सभापति का पुतला ट्राली में रखकर पूरे शहर में घुमाया। इसके बाद यह लोग कलक्टरी पहुंचे।
यहां पर इन्होंने अतिरिक्त जिला कलक्टर आशाराम डूडी को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया। इसके बाद फिर नगर परिषद की तरफ बढ़े। बारिश होने के कारण पुतला काफी भीग गया। नगर परिषद के बाहर आकर सभापति का पुतला जलाया।
आबूरोड में भी हंगामा
सिरोही के प्रकरण को देखते हुए वाल्मिकी समाज के युवक-युवतियों ने आबूरोड नगर पालिका के बाहर भी इसी तरह के मामले को लेकर हंगामा किया। पालिकाध्यक्ष सुरेष सिंदल ने बताया कि यहां पर 29 सफाईकर्मियों की भर्ती हुई है।
इनमें से चार वाल्मिकी समाज के अलावा अन्य समाज के युवक हैं। यह लोग अपने कोटे के कार्मिक हैं। इनमें से किसी ने भी फिलहाल ज्वाइन नहीं किया है। इन कार्मिकों की मांग है कि दूसरे समाज के लोग भर्ती कैसे हो गए।