सबगुरु न्यूज-सिरोही, 21 सितम्बर। मुगल बादशाह अलाउद्दीन खिलजी को सिरोही में हराने के जश्न में गुरुवार रात और शुक्रवार सवेरे सिरोही डूबा रहा। जिले में रेबारी समाज के वीरता के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला दो दिवसीय सारणेश्वर मेला शुक्रवार शाम को सम्पन्न हुआ।
सात सौ वर्ष पूर्व मुगल बादशाह अलाउद्दीन खिलजी को हराने में सिरोही राजघराने का सहयोग करने के उपहार के रूप में सिरोही के सारणेश्वर गांव का एक दिन का राजपाट आज भी इसी परम्परा को निभाने के लिए रेबारी समाज के सुपुर्द किया जाता है।
देवझुलनी एकादशी को पालकियां निकलने के बाद रात्रि को सिरोही से तीन किलोमीटर दूर स्थित सारणेश्वर गांव का मंदिर परिसर पूरी तरह से रेबारी समाज के हस्तगत रहता है। इस रात्रि को इस परिसर में रेबारी समाज के अतिरिक्त कोई अन्य जाति प्रवेश नहीं कर सकती।
किंवदंती के अनुसार करीब सात सौ साल पूर्व रूद्रमाल से शिव मंदिर के शिवलिंग को गाय के चमडे में लपेटकर और हाथी के पांव में बांधकर अलाउद्दीन खिलजी की सेना ला रही थी। सूचना मिलने पर सिरोही के तत्कालीन राजा ने अलाउद्दीन की सेना को हराकर शिवलिंग को सारणेश्वर गांव में स्थापित किया।
इसके बाद स्वयं अलाउद्दीन ने भी सिरोही पर हमला किया, लेकिन वह फतह नहीं हो सका। इस युद्ध में रेबारी समाज ने तत्कालीन सिरोही महाराव का सहयोग किया। तब से युद्ध में फतह के दिन देवझुलनी एकादशी को एक पूरे दिन के लिए सारणेश्वर गांव की सत्ता सौंपी जाती है। यह परम्परा अभी भी निभाई जा रही है।
-सामाजिक कुरीतियां मिटाने का आह्वान
रेबारी समाज कल्याणकारी संस्थान की ओर आयोजित इस मेले में समाज के सिरोही, जालोर और पाली के रेबारी समाज के लोगों का जमावड़ा लगा। पूरी रात मंदिर परिसर में समाज के पंचों की बैठक हुई है और भजन हुए।
शुक्रवार दोपहर को सभा हुई जिसमें गोपालन राज्यमंत्री ओटाराम देवासी, रेबारी समाज कल्याणकारी संस्थान के अध्यक्ष भूपत देसाई, अखिल भारतीय रेबारी समाज के अध्यक्ष खेमाराम देसाई, भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी आदि समेत सैंकड़ों की संख्या मे लोग मौजूद रहे। इस दौरान समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ाने और बालिका शिक्षा को बढ़ाने का आह्वान किया गया।
इस दौरान सिरोही में रेबारी समाज की बालिकाओं के लिए आवासीय विद्यालय के लिए सात एकड भूमि आवंटन और सत्ताइस करोड़ रुपये की राशि भवन निर्माण के लिए स्वीकृत किए जाने के लिए समाज के युवाओं ने ओटाराम देवासी का एक सौ आठ किलो वजन की माला से सम्मान किया।