नयी दिल्ली । रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सेना के जवानों के साथ दीपावली का जश्न मनाने के लिए मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश रवाना हो गयीं।
सीतारमण राज्य के ऊपरी दिबांग घाटी जिले की चौकियों पर तैनात सेना के जवानों के साथ दिवाली की खुशियां बांटेंगी। आधिकारिक सूत्राें के अनुसार श्रीमती सीतारमण जवानों के साथ दीपावली मनाएंगी और इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चलायी जा रहीं परियोजनाओं की प्रगति और रक्षा तैयारियों की समीक्षा भी करेंगी।
रक्षा मंत्री जवानों के साथ दिवाली मनाने के बाद बुधवार शाम दिल्ली लौट आयेंगी। उल्लेखनीय है कि नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली दिवाली सियाचिन में सेना के जवानों के साथ मनाई थी। यह सुनकर यमदूत ने कहा, “हे राजन् ! एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पापकर्म का फल है। इसके बाद राजा ने यमदूत से एक वर्ष समय मांगा।
राजा अपनी समस्या के समाधान के लिए ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का क्या उपाय पूछा। तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया।” इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।
एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक राजा को जब यमदूत नरक ले जाने के लिए आये तो, राजा ने नरक में जाने का कारण पूछा। यमदूत ने बताया कि उसने एक ब्राह्मण को द्वार से भूखा लौटा दिया था। राजा यमदूत से एक वर्ष का समय मांगता और यमदूत उसे समय दे देते हैं। इसके बाद राजा ऋषियों के पास पहुंचता है और पूरा वृतांत बताता है। ऋषियों के कहने पर राजा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को व्रत करता है और ब्राह्मणों को भोज कराता है। इसके बाद राजा को नरक के बजाय विष्णुलोक में स्थान मिलता है। तब से ही इस दिन यमराज की विशेष पूजा की जाती है।